अगर हम बुखार को एक आम बीमारी की तरह देखें तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। क्योंकि ये हर तीसरे व्यक्ति बड़ी ही आसानी से हो जाता है। वायरल फीवर को लोग इसलिए भी नज़रअंदाज़ कर देते हैं क्योंकि अक्सर ये शरीर में बाहरी संक्रमण का प्रवेश करना, मौसम में बदलाव, थकान आदि के कारण हो जाता है। इस स्थिति में शरीर का तापमान बढ़ जाता है जिसे हम बुखार कहते (what is viral fever in hindi) हैं।
वायरल फीवर में कारगार हैं ये आयुर्वेदिक इलाज
- बुखार होने के कारण
- वायरल फीवर का आयुर्वेदिक इलाज
- वायरल फीवर के लिए एलोपैथी दवाइयां
बुखार होने के कारण (Causes of fever in hindi)
मौसम में होने वाला बदलाव अपने साथ-साथ कई सारी बीमारियां भी लेकर आता है। बुखार होना भी इन्ही बीमारियों में से एक है। कई बार लोग अनेकों ऐसी गलतियां कर देते हैं जिसके कारण वायरल फीवर की शिकायत हो जाती है। तो आइए जानते बुखार किन कारणों से होता है।
- जगह-जगह का पानी पीने के कारण बुखार हो जाता है। क्योंकि बाहर से भरे जाने वाले पानी में मच्छर पनपते हैं जो डेंगू और मलेरिया फैलाने का काम करते हैं।
- छोटे बच्चों में फीवर होने का सबसे बड़ा कारण शरीर का अचानक से गर्म से ठंडा होना है। अक्सर बच्चे बाहर धूप से खेलकर अंदर आते हैं और गर्मी होने के कारण ठंडे पानी से नहा लेते हैं जिसके कारण बुखार हो जाता है।
- दवाइयों के गलत प्रभाव के कारण भी बुखार हो जाता है। अगर आप बिना डॉक्टर की सलाह से या किसी दवाई का गलत खुराक ले लेते हैं तो इससे बुखार होने का खतरा रहता है।
- घंटो बारिश में भीगने के कारण भी वायरल फीवर हो जाता है।
ये भी पढ़े – वायरल फीवर के लक्षण
डॉक्टर से लें मुफ्त सलाह
क्या आप जानते हैं?
शायद आप नहीं जानते होंगे बुखार लगभग 6 प्रकार के होते हैं। जैसे स्वल्पविराम बुखार, लगातार बुखार, जाड़े का बुखार, पेल एब्स्टीन प्रकार, सेप्टिक बुखार, मियादी बुखार(viral fever meaning in hindi) आदि। इन सभी प्रकार के फीवर तभी होते हैं जब शरीर में खतरनाक बीमारी हो रही हो। और इनके लक्षणों (viral fever treatment in hindi) को पहचानना भी काफी मुश्किल होता है।
वायरल फीवर का आयुर्वेदिक इलाज (ayurveda treatment for viral fever in hindi)
बरसात के मौसम में फीवर (viral fever in hindi) के मामले बढ़ जाते हैं। इन दिनों शरीर में दर्द, तेज़ बुखार, खांसी-ज़ुकाम, वायरल फिवर के लक्षण (VIRAL FEVER KE LAKSHAN) देखने को मिलते हैं। इसके दो बड़े कारण हैं। पहला मौसम में बदलाव और दूसरा मच्छरों, बैक्टीरिया और वायरस का फैलना आदि। ऐसे में एलोपैथी दवाइयों से ज़्यादा कारगार आयुर्वेदिक दवाइयां हैं। क्योंकि हर छोटी बीमारी जिसे हम आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से ठिक कर सकते हैं उसके लिए एलोपैथी दवाइयों का सहारा लेना सही नहीं है। तो आज हम आपको वायरल फीवर को ठिक (viral fever symptoms and treatment in hindi) करने के कुछ आयुर्वेदिक उपचार बताने जा रहे हैं। जिसकी सहायता से आप घर में ही वायरल फिवर का बेहतर इलाज कर सकेंगे।
वायरल फीवर में कारगार हैं ये आयुर्वेदिक इलाज
- आयुर्वेदिक काढ़ा
- कालीमिर्च पाउडर
- सिरका
- हल्दी और सौंठ का पाउडर
- तुलसी
आयुर्वेदिक काढ़ा पहुंचाएगा बुखार में आराम
शरीर में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए घर में ही आयुर्वेदिक काढ़ा बनाएं। इसके लिए 1 गिलास पानी में कुटी हुई सौंठ, 2 से 4 तुलसी की पत्तियां, गिलोय का गूदा, चिरायता, और नीम के पत्ते डालकर इसे आग पर पका लें। जब ये काढ़ा जलकर एक चौथाई रह जाए तो इसे पिएं। इससे बुखार की समस्या दूर (viral fever treatment in hindi) होती है।
कालीमिर्च पाउडर है बुखार में फायदेमंद
यदि बुखार ज़्यादा हो और ये खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है तो इसके लिए कालीमिर्च पाउडर को सेंधा नमक और शहद में मिलाकर खाएं। ये खांसी-जुकाम और बुखार का सबसे बेहतरीन उपाय है।
सिरका का फीवर में उपयोग
बुखार ज़्यादा हो तो नहाने के पानी में आधा कप सिरका मिला लें और और इससे सिर पर पट्टी करें। इसके अलावा आप चाहें तो आलू के कुछ टुकड़ों को सिरके में डुबोकर माथे पर बांध लें। इस उपाय को दिन में 2 से 3 बार करने से बुखार खत्म होता है।
हल्दी और सौंठ का पाउडर है फीवर में असरदार
अदरक में एंटी आक्सिडेंट के गुण होते हैं जो बुखार को ठिक करने में मदद करता है। इसके लिए एक चम्मच काली मिर्च का चूर्ण, एक छोटी चम्मच हल्दी का चूर्ण और एक चम्मच सौंठ को एक गिलास पानी में डालकर गर्म कर लें। जब यह पानी अच्छी तरह उबल जाए तो इसे ठंडा करके पिएं। ये वायरल फीवर (symptoms of viral fever in hindi) में आराम दिलाता है।
तुलसी से मिलेगा फीवर में आराम
तुलसी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो शरीर के अंदर से वायरस निकालने में मदद करता है। इसके इस्तेमाल के लिए एक चम्मच लौंग के चूर्ण और दस से पंद्रह तुलसी के ताजे पत्तों को एक लीटर पानी में डालकर उबालें। इसके बाद इसे छानकर ठंडा करके हर एक घंटे में पिएं। दिन में 4 से 5 बार इसे पीने से एक ही दिन में बुखार कम हो जाएगा।
वायरल फीवर के लिए एलोपैथी दवाइयां (viral fever medicine allopathic)
कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हे आयुर्वेदिक और घरेलू ट्रिटमेंट करने में आलस आता है। ऐसे लोग फीवर में एलोपैथी दवाइयों का सहारा लेते हैं। तो आपको बता दें कि वायरल फीवर (viral fever hindi) में निम्न एलोपैथी दवाइयां (viral fever medicine allopathic) ज़्यादा कारगार हैं।
-
-
- कालपोल टैबलेट (Calpol tablet)
- ईबो प्लस (Eboo Plus)
- फेब्रेक्स (Febrex)
-
हमारे डॉक्टर से सलाह लें
ये जानना भी है ज़रूरी
बता दें कि पीछले कुछ महीनों पहले बिहार में चमकी बुखार से लगभग 200 बच्चों की मौत हो गई थी। ये बुखार एक बच्चे से दूसरे बच्चे में बड़ी ही आसानी से फैल जा रहा था। इस फीवर का असर इतना भयानक था कि इससे बच्चों का जान भी चली जा रही था।