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पेट के रोग दूर करने के लिए अपनाएं कषाय बस्ती (Kashaya Vasti)

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Written by Ritika

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मॉनसून का मौसम जारी है। इस मौसम में मार्केट से खरीदकर खाए गए व्यंजनों में के कारण कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। व्यक्ति को इंफेक्शन , या अन्य पेट की गंभीर समस्याएं हो सकती है। इन समस्याओं से निपटने के लिए आयुर्वेद की मदद ली जा सकती है। बता दें कि आयुर्वेद में कई समस्याओं से राहत देने के उपाय उपलब्ध है। पेट की समस्या , प्रजनन प्रणाली से संबंधित रोगों को ठीक करने में कषाय बस्ती का उपयोग किया जाता है। इस पद्धति में मलाशय, योनि और मूत्रमार्ग के जरिए औषधीय तेल और काढ़ा दिया जाता है।

मॉडर्न समय में कषाय बस्ति (kashaya vasti) को कैथेटर नाम की पतली ट्यूब की मदद से डाला जाता है। इस यंत्र में कई तरह की औषधियों को डाला जाता है जिनकी मदद से शरीर में बढ़े हुए दोषों को दूर किया जा सके। इस प्रक्रिया की मदद से शरीर के तीनों दोषों को संतुलित करने पर जोर दिया जाता है।
आयुर्वेद में वर्णित अधिकतर बीमारियों का इलाज बस्ती उपचार के जरिए किया जा सकता है। इस चिकित्सा पद्धति को अर्धचिकित्सा भी कहा जाता है। बता दें कि कषाय बस्ति (kashaya vasti) प्रक्रिया में मरीज को दी जाने वाली दवाई औषधीय काढ़े की तरह होती है। इस दवाई में कसैला या कड़वा स्वाद होता है।

कषाय बस्ति के बारे में महत्वपूर्ण बातें जानें

  1. जानें कषाय बस्ति (kashaya vasti) के बारे में
  2. कब दे कषाय बस्ती (kashaya vasti)
  3. कषाय बस्ति (kashaya vasti) थेरेपी की ये है प्रक्रिया
  4. जानें कषाय बस्ति (kashaya vasti) पद्धति के लाभ
  5. जानें कषाय बस्ति (kashaya vasti) से होने वाले नुकसान
  6. कषाय बस्ति (kashaya vasti) की ये है कीमत

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    जानें कषाय बस्ति (kashaya vasti) के बारे में

    जानें कषाय बस्ति (kashaya vasti) के बारे में

    कषाय बस्ति (kashaya vasti) थेरेपी के जरिए दर्द प्रबंधन, गैस संबंधित समस्याएं, पक्षाघात, विषहरण जैसी बीमारियों से ग्रसित मरीजों को राहत मिल सकती है। बता दें कि कषाय का अर्थ है काढ़ा और बस्ति का अर्थ है शरीर का निचला हिस्सा।

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    कब दे कषाय बस्ती (kashaya vasti)

    कब दे कषाय बस्ती (kashaya vasti)

    आमतौर पर कषाय बस्ति (kashaya vasti) को असरदार आयुर्वेदिक थेरेपी माना जाता है जो मुख्यरूप से गैस संबंधित समस्याओं, पक्षाघात और विषहरण जैसी समस्याओं से निजात दिला सकती है। बता दें कि कषाय बस्ति (kashaya vasti) मुख्यरूप से दो शब्दों से मिलकर बना है। कषाय जिसका अर्थ है काढ़ा और बस्ति जिसका अर्थ है शरीर के निचले हिस्से में छिद्र के जरिए औषधि देने की विधि। आमतौर पर ये प्रक्रिया पुरुषों में जठर और महिलाओं में योनी के निचले हिस्से में की जाती है। इस प्रक्रिया के जरिए वात दोष और पेट संबंधित विकारों को ठीक करने का काम किया जाता है।

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    कषाय बस्ति (kashaya vasti) थेरेपी की ये है प्रक्रिया

    कषाय बस्ति (kashaya vasti) थेरेपी की ये है प्रक्रिया

    कषाय बस्ति (kashaya vasti) आयुर्वेदिक थेरेपी में तीन चरणों में शामिल होता है। इसमें पूर्वकर्मा, प्रधानकर्म और पास्चट कर्म होता है। ये थेरेपी खाली पेट होती है।

    जानें पूर्वकर्मा

    कषाय बस्ति (kashaya vasti) थेरेपी में रोगी को स्नेहन कराया जाता है। इसमें तेल, घी, शहद का उपयोग कर रोगी की जांच होती है, जिसके बाद चिकित्सक काढ़ा और थेरेपी के संबंध में अधिक जानकारी देता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत से पूर्व मरीज को स्नेहन और स्वेदन की प्रक्रिया से गुजरना होता है ताकि मरीज का शरीर रिलैक्स कर सके।
    इस प्रक्रिया में उपकरण का इस्तेमाल होता है। मलाशय में प्रवेश करने वाले उपकरण के हिस्से को चिकना करने के साथ गूदे को भी चिकना किया जाता है। ऐसा करने से प्रक्रिया आसान होती है। कषाय बस्ति (kashaya vasti) थेरेपी के दौरान रोगी की स्थिति की जांच चिकित्सक द्वारा की जाती है जिसमें देखा जात है कि दवा शरीर के बाईं ओर तक पहुंची या नहीं।

    प्रधान कर्म

    प्रधान कर्म ऐसा चरण है जिसमें औषधीय काढ़े को मलाशय के जरिए डाला जाता है। इसे निश्चित समय के लिए शरीर में रखा जाता है। ये ओषधीय काढ़ा दोषों को संतुलित कर शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर का रास्ता दिखाता है।

    पास्चट कर्मा

    पास्चट कर्मा चरण में दवा डालने के बाद रोगी को आराम दिलाया जाता है। इस थेरेपी में पेट की मालिश उस समय तक हीत है जबतक रोगी को शौचालय ना जाना पड़ जाए।

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    जानें कषाय बस्ति (kashaya vasti) पद्धति के लाभ

    जानें कषाय बस्ति (kashaya vasti) पद्धति के लाभ

    कषाय बस्ति (kashaya vasti) ऐसी पद्धति है जिसमें स्न्नेहन का भी प्रयोग होता है। दोनों पद्धतियों के इस्तेमाल होने से इस पद्धति के लाभ बढ़ जाते है। माना जाता है कि कषाय बस्ति (kashaya vasti) चिकित्सा उपचारात्मक थेरेपी है। इसकी मदद से कब्ज, तंत्रिका संबंधी विकार, पेट फूलना, निचले कमर दर्द, गाउट, गठिया जैसे समस्याओं से होने वाली परेशानियों को कम करने में मदद मिलती है।

    गाउट

    गाउट रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा को बढ़ाता है। इस समस्या से राहत देने में कषाय बस्ति (kashaya vasti) काफी अहम होती है। इस समस्या को जड़ से खत्म करने में भी कषाय बस्ति (kashaya vasti) लाभकारी है।

    कब्ज

    कषाय बस्ति (kashaya vasti) की समस्या से कब्ज भी दूर होता है। ये पित्त और वात दोष को खत्म करता है। कषाय बस्ति उन लोगों के लिए काफी कारगर उपचार है जो कब्ज की समस्या से वर्षों से जूझ रहे है।

    निचला कमर दर्द

    कई लोगों को कमर के निचले हिस्से में दर्द की परेशानी होती है। ऐसे लोगों को कषाय बस्ति (kashaya vasti) उपचार की मदद से लंबे समय तक इस परेशानी से आराम मिल सकता है।

    गठिया

    गठया ऐसी परेशानी है जो दीर्घकाल तक व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में लेकर परेशान कर सकती है। विभिन्न कारणों से होने वाले गठिया को कषाय बस्ति (kashaya vasti) को दूर करने में मददगार होती है। आयुर्वेद की इस थेरेपी का प्रयोग कर इस समस्या से राहत मिलती है।

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    जानें कषाय बस्ति (kashaya vasti) से होने वाले नुकसान

    जानें कषाय बस्ति (kashaya vasti) से होने वाले नुकसान

    कषाय बस्ति (kashaya vasti) को वर्षों से प्रभावी थेरेपी के तौर पर गिना जाता है। इस थेरेपी के जरिए सालों पुरानी बीमारी ठीक हो सकती है। हालांकि कुछ मामलों में अपवाद भी होते है। कुछ मामलों में रोगी को खट्टी डकार, एनोरेक्सिया, गंभीर खांसी, मूत्र विकार, मोटापा, सांस लेने की तकलीफ, जलोदर, दस्त, एनीमिया जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती है।

    बरतनी चाहिए ये सावधानियां

    कषाय बस्ति (kashaya vasti) की प्रक्रिया के दौरान कई सावधानियां बरतना आवश्यक है। सावधानी बरतने से शारीरिक और मानसिक नुकसान होने से बचता है। कषाय बस्ति (kashaya vasti) के दौरान सावधानियों का पालन करने से इस पद्धति से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

    • थेरेपी कराने के दौरान खाली पेट रहें।
    • थेरेपी लेने के बाद डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करना जरुरी है।
    • ये पद्धति हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक से जांच कराने के बाद लेनी चाहिए।
    • किसी अन्य रोग होने की स्थिति में इस पद्धति को कराने से पहले चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

    कषाय बस्ति (kashaya vasti) की ये है कीमत

    कषाय बस्ति (kashaya vasti) की ये है कीमत

    कषाय बस्ति (kashaya vasti) की कीमत सरकारी संस्थानों में 150 रुपये से शुरु हो जाती है। हालांकि ये राशि अलग राज्यों और संस्थानों में भिन्न हो सकती है। कषाय बस्ति (kashaya vasti) ऐसी थेरेपी है जो घर में भी करवाई जा सकती है मगर घर में इस थेरेपी को लेने के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है। ये कीमत 500-1000 रुपये तक हो सकती है।

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