आयुर्वेद में कई ऐसी पद्धतियां है जिनके जरिए उपचार करने से मरीज की वर्षों पुरानी बीमारी में राहत मिल सकती है। अर्थराइटिस, न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं, गठिया, शारीरिक सूजन जैसी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए आयुर्वेद में कई ऐसी थेरेपी हैं जो काफी असरदार हो सकती है।
इन्हीं में से एक थेरेपी है पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी। पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी में मरीज पर औषधीय पाउडर का उपयोग तेल के साथ या बिना तेल के भी किया जा सकता है। इस तरह का ये आयुर्वेद में एकमात्र उपचार है। ये उपचार कई मामलों में कारगर माना जाता है। इस आसान सी प्रक्रिया को अपनाकर मरीज के शरीर का वर्षों पुराना दर्द भी ठीक हो सकता है।
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जानें क्या है पोडिकिजी (podikizhi)
पोडिकिजी (podikizhi) एक आयुर्वेदिक मसाज थेरेपी है, जिसे अपनाने से शारीरिक दर्द को कम किया जा सकता है। इस थेरेपी के जरिए गठिया, मांसपेशियों में ऐंठन, न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं, सूजन आदि को कम किया जा सकता है। पोडिकिजी (podikizhi) को चूर्ण पिंड स्वेदन के नाम से भी जाना जाता है। इस थेरेपी में पोडि का अर्थ है पाउडर और किजी का अर्थ है बैग। यानी पोडिकिजी (podikizhi) का अर्थ हुआ पाउडर का बैग।
जानकारी के मुताबिक इस थेरेपी में काफी असरदार पाउडर का उपयोग किया जाता है। ये पाउडर कई उपयोगी जड़ी बूटियों से मिलकर बना होता है। इसे गर्म करने के बाद इसे कपास या कॉटन से निर्मित खास बैग में भरा जाता है। इस बैग में भरकर ही मरीज की गर्म मसाज होती है जिससे उसे दर्द से राहत मिलने में मदद मिलती है। बता दें कि इस थेरेपी में सबसे अहम औषधीय पाउडर होता है, जिसकी मदद से इलाज किया जाता है।
गौरतलब है कि ये थेरेपी “चूरनाम पाउडर” को उपयोग करके की जाती है। ये थेरेपी रोगी के रोग की स्थिति के आधार पर दी जाती है। थेरेपी में कोट्टमचक्कड़ी, नागराड़ी, जटामायादी जैसे चूर्णों का उपयोग किया जाता है जो कई गुणों से भरपूर होन के साथ विभिन्न बीमारियों से राहत देने में सक्षम होते है।
पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी में पाउडर को शरीर पर लगाने से पूर्व आयुर्वेदिक तेलों में डूबाकर रखा जाता है। पाउडर को आयुर्वेदिक तेल में डूबोने की प्रक्रिया बेहद अहम है क्योंकि इससे तेल मालिश की प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
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पोडिकिजी (podikizhi) की प्रक्रिया
- पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी में सबसे पहला चरण मिश्रण पाउडर को तैयार करना होता है। इसे किजी कहा जाता है। मिश्रण पाउडर के साथ करक्यूमा, सेंधा नमक, लहसुन और नींबू को मिलाया जाता है।
- जड़ी बूटियों को एक पैन में थोड़े से तेल के साथ हल्का गर्म किया जाता है। लगभग पांच मिनट के बाद जड़ी बूटियों के मिश्रण को कपास के बैग में डालकर पोडि का निर्माण किया जाता है।
- गर्म पोडि को हल्का ठंडा कर (सहने योग्य गर्म तापमान) पर जड़ी बूटिओं के मिश्रण पाउडर के साथ तेल में डूबोया जाता है। इससे दर्द को कम करने के लिए शरीर के हिस्से पर बैग लगाया जाता है।
- पोडि को बार बार बदला जाता है ताकि औषधीय हर्ब्स का तापमान समान बना रहे। इस प्रक्रिया में ध्यान रखना आवश्यक है कि पोडि का तापमान सहनीय स्तर पर बना रहे। इसी से मरीज की मसाज की जाए। पोडि थेरेपी के बाद हमेशा गर्मा पानी से स्नान करना चाहिए तभी इसका लाभ होता है।
- इस थेरेपी को देने का समय लगभग 45 से 60 मिनट तक का होता है। ये थेरेपी एक सप्ताह से तीन सप्ताह तक जारी रह सकती है। इस थेरेपी की समयावधि को रोगी की स्थिति के मुताबिक बदला जा सकता है।
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पोडिकिजी (podikizhi) के ये हैं लाभ
- कई लोगों को भिन्न कारणों से न्यूरोलॉजिकल परेशानियां, गठिया की बीमारी, सूजन की समस्या हो जाती है। इस सभी को प्रभावी रूप से कम करने में ये थेरेपी कारगर हो सकती है।
- पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी के जरिए शरीर में रक्त संचार बढ़ता है।
- पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी त्वचा की रंगत में निखार लाती है।
- पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी से शरीर का दर्द कम होता है। ये मांसपेशियों को मजबूती देती है।
- जिन लोगों को अत्यधिक चिंता और तनाव की समस्या होती है उनके लिए पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी काफी लाभदायक होती है।
- पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी डिटॉक्सिफाई गुणों से युक्त होती है, जिसके जरिए त्वचा के पोर्स से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते है। इस थेरेपी को कराने से त्वचा रोग होने की संभावना कम हो सकती है।
पोडिकिजी (podikizhi) के ये हैं नुकसान
पोडिकिजी (podikizhi) ऐसी आयुर्वेदिक थेरेपी है जिसे काफी सुरक्षित उपचार माना जाता है। ये थेरेपी पूर्ण रूप से प्राकृतिक होती है। हालांकि कुछ मामलों में पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी के नुकसान देखने को मिलते है।
- इसे करने के बाद रोगी की त्वचा पर जलन, मांसपेशियों में अकड़न की समस्या हो सकती है।
- थेरेपी लेने के बाद शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।
- थेरेपी के बाद किसी पुरानी चोट में घाव लग सकता है।
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बरतनी चाहिए ये सावधानियां
पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी के दौरान किसी तरह की शारीरिक परेशानी से बचने के लिए सावधानियां बरतना जरुरी है।
- पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं है।
- किसी पुरानी चोट पर ये थेरेपी नहीं लगानी चाहिए।
- जिन लोगों को स्किन एलर्जी की समस्या है उन्हें इस थेरेपी को नहीं कराना चाहिए।
- बुखार या चक्कर आने पर ये थेरेपी ना कराएं।
- पोडिकिजी (podikizhi) थेरेपी लेने के बाद शरीर को पर्याप्त आराम देना जरुरी है।
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