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क्या है रूमेटॉइड आर्थराइटिस ? कैसे करें इसकी पहचान और क्या है इसका सटीक इलाज ?

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Written by Aiman khan Health Expert

@ khan

आर्थराइटिस जिसे आम भाष में हम और आप गठिया कहते हैं इसके 100 से ज्यादा प्रकार हैं उन्हीं में से एक है । आंकड़ों के मुताबिक रूमेटॉइड आर्थराइटिस से भारत में लगभग 18 करोड़ लोग प्रभावित हैं। इसका प्रमाण डायबिटीज़ एड्स और कैंसर के बाद सबसे ज्यादा है। ये बीमारी ज्यादातर बुजुर्गों में देखी जाती है लेकिन खराब लाइफस्टाइल की वजह से इसकी चपेट में युवा वर्ग भी खूब आ रहे हैं। रूमेटाइड अर्थराइटिस सिर्फ जोड़ों के दर्द तक ही सीमित नहीं बल्कि समय पर इसका इलाज ना कराया जाए तो ये आंखों, त्वचा और फेफड़ों जैसे कई अंगों को प्रभावित कर सकता है। रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है कि जो जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न का कारण बनती है एक्सपर्ट के अनुसार ये एक ऑटोइम्यून डिजीज है जिसमें शरीर की इम्यूनिटी स्वस्थ कोशिकाओं को ही नुकासान पहुंचाना शुरू कर देती है।

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किसे कहते हैं ऑटोइम्यून डिजीज?

आप को बता दें कि जब हमारे शरीर में किसी तरह का बाहरी कीटाणु या जीवाणु प्रवेश कर जाता है तो उसे इंफेक्शन कहते हैं। इस इंफेक्शन को खत्म करने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम सेल्स इंफेक्शन वाली जगह पर अटैक करता है इस कारण उस जगह पर दर्द, सूजन, या रेडनेस नजर आती है जिसे इंफ्लामेशन कहते हैं, लेकिन जब बिना इंफेक्शन के इंफ्लामेशन होता है तो उसे ऑटो इम्यून डिज़ीज कहते हैं। ऐसी स्थित में शरीर की रक्षा प्रणाली ही शरीर के टिशूज पर अटैक करना शुरू कर देती है। रूमेटॉइड आर्थराइटिस होने पर दो हड्डियों के बीज जो कवरिंग होती है वो अकड़ जाती है औऱ दबने लगती है जिसके कारण ज्वॉइंट नहीं हिल पाता और ज्वॉइंट के आस पास की टिशूज में सूजन आ जाती है।

आइए जानते हैं रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षणों से जुड़े कई ऐसी बाते हैं जो बीमारी को और ज्यादा बेहतर तीरेके से समझने में मदद करेंगे

शरीर में इस रोग के होने की पुष्टि इसी बात से होती है जब आपको जोड़ों में दर्द , सूजन के साथ अकड़न पैदा होने लगे। सुबह सुबह शरीर के किसी अंग में लंबे समय तक अकड़न महसूस करना रूमटॉइड अर्थराइटिस का कारण हो सकता है। अकड़न की वजह से शरीर के मूवमेंट में दिक्कत हो सकती है। इसके अन्य लक्षणों में कमजोरी होना, हल्का बुखार, भूख न लगना, मूंह और आंखों का सूखना, शरीर में गांठ बनना शामिल है। रूमेटॉइड आर्थराइटिस के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकत है इसलिए जरूरत इस बात की है कि लक्षणों को नजरअंदाज ना किया जाए।

रूमेटॉइड आर्थराइटिस के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं।

  • जोडों में दर्द
  • जोड़ों में सूजन
  • जोड़ों में अकड़न
  • पीठ और मांसपेशियों में दर्द
  • चलने फिरने में परेशानी होना
  • उंगली में गांठ या सूजन की उपस्थिति
  • आंखों में जलन
  • जोडों को घंटे भर न हिलाने पर उनका जकड़ जाना
  • जोडों को दबाने पर दर्द मसहसूस होना
  • त्वचा में कसाव
  • बुखार
  • हाथ और पैरों का सुन्न रहना

रूमेटॉइड आर्थराइटिस की पुष्टि के लिए क्या करें ?

  • वैसे इसके लिए कोई खास टेस्ट नहीं है जिससे इसकी पुष्टि हो सके लेकिन इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर इसके लिए ब्लडटेस्ट करा सकते हैं।
  • रूमेटॉइड फैक्टर टेस्ट कराने की सलाह आपको डॉक्टर दे सकते हैं।
  • रूमेटॉइड फैक्टर टेस्ट की मदद से शरीर में रूमेटॉइड फैक्टर नाम के प्रोटीन की जांच की जाती है। शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाने से ऑटोइम्यून बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।
  • एंटीसिट्रुलिनेटेड प्रोटीन एंटीबॉडी टेस्ट की मदद से शरीर में एंटीबॉडीज की जांच की जाती है जिसके कारण रूमेटॉइड आर्थराइटिस की समस्या होती है। जिन लोगों के शरीर में ये एंटीबॉडीज होते हैं उन्हें अमूमन ये बीमारी होती है।
  • एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्ट- इस टेस्ट की मदद से ये पात लगाया जाता है कि व्यक्ति का इम्यून सिस्टम एंटीबॉडीज प्रोड्यूस कर रहा है या नहीं
  • सी रिएक्टिल प्रोटीन टेस्ट शरीर में गंभीर इंफेक्शन या सूजन होने पर लिवर सी रिएक्टिव प्रोटीन बनाना शुरू कर देता है।शरीर में इस प्रोटीन की मात्रा अधिक होने पर रूमेटॉइड आर्थराइटिस हो सकता है। इस टेस्ट की मदद से सी रिएक्टिव प्रोटीन के स्तर का पता लगया जाता है।

कैसे करें रूमेटॉइड आर्थराइटिस का सही ट्रीटमेंट ?

रूमेटॉइड आर्थराइटिस का ट्रीटमेंट बहुत मुश्किल होत है और बहुत ही लंबा चलता है ट्रीटमेंट के लिए दवाएं, फिजियोथेरेपी और एक्सरसाइज का प्रयोग किया जाता है। जल्द और सही समय पर ट्रीटमेंट शुरू करने से इसके दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है, ताकि जोड़ों को रिप्लेस करने की आवश्यकता ना पड़े। शुरुआती इलाज के लिए डिजीज मॉर्डिफाइड एंटीरौमेडिक ड्रग्स जैसे मेथेट्रेजेट लिफोनोमाइड, हाइट्रोक्सीक्लोरोक्वीन दी जाती है, इसके आलावा मरीजों को स्टेरॉइड भी दी जाती है।

मांसपेशियों में खिंचाव औऱ दर्द होने पर गर्म चीजों से सेंकने से आराम मिलता है। गर्म पानी में नहाना या शॉवर लेना काफी फायदेमंद हो सकता है। कुछ लोगों को गर्म पैक का उपयोग करने से दर्द में राहत मिलती है।

रूमेटॉइड आर्थराइटिस की रोकथाम कैसे करें ?

बता दें कि रूमेटॉइड आर्थराइटिस एक प्रतिरक्षा प्रणाली का विकार है इसलिए इसकी रोकथाम करने का कोई तरीका नहीं होता, हालांकि जीवनशैली से संबंधी कुछ सावधानियां बरती जा सकती है।

  • कोलेस्ट्रोल घटान की कोशिश करें- रूमेटॉइड आर्थराइटिस से ग्रसित लोगों के लिए उनकी जिंदगी में ह्रदय संबंधी बीमारियों और स्ट्रोक आदि के जोखिम बढ़ सकते हैं, इसलिए एक अच्छा संतुलित भोजन लेना और कोलेस्ट्रोल स्तर को कम रखना बहुत महत्वपूर्ण होता।
  • धूम्रपान छोड़ने की कोशिश करें- कुछ प्रमाण बताते हैं कि धूम्रपाण करना रूमेटॉइड आर्थराइटिस विकसित होने के जोखिम को बढ़ा सकता है। रूमेटॉइड विकसित होने के बाद भी धूम्रपान करने से उसकी स्थिति और अधिक गंभीर हो जाती है।
  • शारीरिक गतिविधियां- जोड़ों में गति बनाए रखने के लिए शारीरिक गतिविधियां जरूरी होती है अगर रूमेटॉइड आर्थराइटिस के कारण आस पास की मांसपेशियां कमजोर होने लगी है तो व्यायाम उन्हें मजबूत करने में मदद कर सकता है।

रूमेटॉइड आर्थराइटिस वाले कैसी डायट लें

इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को डॉक्टर एंटीइंफ्लेमेटरी डायट लेने की सलाह देते हैं ताकि बीमारी के लक्षणों को कम किया जा सके। इसके लिए मरीज को ओमेगा 3 फैटी एसिड के भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे अखरोट सॉल्मन और ट्यूना मछली, अलसी खाना चाहिए। इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए भरपूर मात्रा में फाइबर ग्रहण करना भी बहुत ही जरूरी है। फाइबर का सेवन करने से शरीर में सी रिएक्टिव प्रोटीन का लेवल कम होता है जिससे सूजन में आराम मिलता है।

लोगों का मानना है कि गठिया या आर्थराइटिस बढ़ती उम्र के लोगों में देखा जाता है, लेकिन सही मायने में रूमेटॉइड आर्थराइटिस जो किसी भी उम्र में किसी व्य्कति को प्रभावित कर सकती है। यहां तक कि बच्चे भी इस बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं जिसे जुवेनाइल आर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है।

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