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क्या आप एंग्जाइटी से परेशान? जानिए कारण, लक्षण, प्रकार और इलाज

Written by Juli Kumari

@ Health Expert

आजकल की अस्त-व्यस्त जीवनशैली में एंग्जाइटी की समस्या होना आम बात है। ऑफिस और स्कूल की तरफ से मिलने वाले मानसिक दबाव से बड़ों -बच्चे सब एंग्जाइटी की गिरफ्त में आ गए हैं। एंग्जाइटी होने से व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन के काम करने में भी बाधा उत्पन्न होती है।

एंग्जाइटी के कारण (Reason for anxiety)

कहीं भीड़ वाली जगह पर जाने से पहले या पेपर के समय शरीर में अलग-2 तरह के बदलाव होने लगते हैं। जैसे (like) पसीना आना, घबराहट, डर, बैचेनी आदि लेकिन आमतौर पर ये परेशानी केवल खास मौके पर ही होती है। लेकिन (but) अगर दिन में भी इस तरह की परेशानी हो तो ये काफी चिंता का विषय होता है। ऐसे में (so)इसके कारण (because) जानना बहुत ज़रूरी है। तो आए जानते हैं। एंग्जाइटी किन कारणों से होता है।

एंग्जाइटी के कारण (Reason for anxiety)

  • दर्दनाक घटना- एंग्जाइटी की समस्या उन बच्चों को ज़्यादा होती है। जिन्होनें किसी दर्दनाक घटना का सामना किया हो। ऐसे में ये घटना बड़े होने पर भी उसका पीछा नहीं छोड़ती है। और हमेशा भय बना रहता है।
  • अल्कोहल का सेवन- ड्रग्स और अल्कोहल का सेवन अधिक करने से दिमागी चिंता बढ़ जाती है। जिसके कारण (as a result) व्यक्ति एंग्जाइटी का शिकार हो जाता है।
  • तनाव- यदि आपके परिवार में हमेशा चिंता और तनाव का माहौल रहता है। या किसी अपने के मौत के भय के कारण भी आप एंग्जाइटी की चपेट में आ सकते हैं।
  • बीमारी- जब व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी हो जिसके ठीक होने की संभावना बहुत कम होती है तो इसके चिंता के कारण एंग्जाइटी होने का खतरा रहता है। क्योंकि इस स्थिति में पीड़ित अपने भविष्य का सोचकर परेशान होता रहता है।
  • अनुवांशिकता- आनुवंशिक कारण भी इस रोग की वजह हो सकते हैं। यदि आपके परिवार में कोई भी व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है तो आपको भी ये समस्या आसानी से हो सकती है।

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एंग्जाइटी के प्रकार (Types of anxiety)

एंग्जाइटी के प्रकार (Types of anxiety)

एंग्जाइटी के कई प्रकार हैं। जैसे-

  • ऑब्सेसिव कम्पलसिव- इस स्थिति में पीड़ित लोग लगातार कुछ अजीब-अजीब चीज़ें सोचते रहते है। इस आदत के कारण वो खुद को अलग ही स्थिति में ढाल लेते हैं। जिसमें वो लोगों की बेतुकी बातों को इक्ट्ठा करने लगते हैं और भीड़ से घृणा करना शुरू कर देते हैं।
  • सोशल एंग्जाइटी- सोशल एंग्जाइटी का शिकार होने पर पीड़ित व्यक्ति ज़्यादा सतर्क रहने लगता है। चिंता और तनाव का शिकार होने के कारण उसे ऐसा लगता है जैसे हर वक्त उसपर कोई नज़र रखे हुए है।
  • जनरालाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर- इसके कारण पीड़ित व्यक्ति बेवजह ही चिंता में रहता है। उस व्यक्ति के दिमाग में कई ऐसे उत्तेजना भरे सवाल आते हैं जिसका कोई मतलब नहीं होता है।
  • पैनिक- इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे उसकी सांसे रूक रही है। और साथ ही सर में दर्द और घबराहट महसूस होने लगता है।

एंग्जाइटी के लक्षण (Symptoms of anxiety)

एंग्जाइटी एक ऐसी बीमारी है जो केवल बड़ो को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी अपने प्रभाव में ले लेती है। ऐसे में इसके लक्षणों को पहचानकर जल्द से जल्द इसका इलाज करवाना ज़रूरी होता है। तो आज हम आपको बताएंगे की कैसे आप एंग्जाइटी के लक्षणों को पहचान सकते हैं। तो आइए जानते हैं।

  • चिंता- एंग्जाइटी होने पर व्यक्ति छोटी-छोटी बातों को लेकर ज़्यादा चिंता करने लगता है। और किसी भी काम में आपका ध्यान नहीं लगता है। इस स्थिति में आपको एंग्जाइटी होने का खतरा रहता है।
  • बेचैनी– इस रोग में व्यक्ति को बेचैनी और असहजता महसूस होने लगती है। अगर हमेशा आपके साथ ऐसा हो तो सावधान हो जाएं। जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लें।
  • चिड़चिड़ापन- कहा जाता है कि एंग्जाइटी की समस्या ज़्यादात्तर युवा पीढ़ी में देखी जाती है। तो ध्यान रखें यदि आपके बच्चे में भी चिड़चिड़ेपन की शिकायत हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • पैनिक अटैक- एंग्जाइटी से पीड़िता लोगों को पैनिक अटैक होने लगते हैं। इसके कारण व्यक्ति का हार्टबीट बढ़ने लगता है।
  • अकेला रहना- इस रोग में लोग अकेला रहना पसंद करते हैं। उन्हें लोगों के साथ उठना-बैठना अच्छा नहीं लगता है।

एंग्जाइटी का इलाज (Treatment of anxiety)

एंग्जाइटी एक ऐसी बीमारी है जिसका जल्द से जल्द उपचार करवाना ज़रूरी होता है। अन्यथा ये किसी भी गंभीर रोग में तब्दिल हो सकता है। तो आज हम आपको बताएंगे की कैसे आप एंग्जाइटी का इलाज करवा सकते हैं। तो आइए जानते हैं।

एंग्जाइटी का इलाज (Treatment of anxiety)

  • कॉग्निटिव्स बिहेवियर थेरेपी- इस थेरेपी द्वारा पीड़ित व्यक्ति की सोचने और याद करने की क्षमता को बदला जाता है। साथ ही जटिल से जटिल परिस्थितियों में अपनेआप को ढ़ालना सिखाया जाता है। साथ ही इस स्थिति में व्यक्ति को अपने ब्रेन पर काबू रखना भी सिखाया जाता है।
  • साइकोएनालिसिस थेरेपी- कई बार बचपन में हुए किसी दर्दनाक हादसे के कारण व्यक्ति को एंग्जाइटी हो जाती है। इस स्थिति में बचपन के हादसे को एक्सप्लोर और हील किया जाता है।
  • प्ले थेरेपी- एंग्जाइटी के शिकार बच्चों का इलाज प्ले थेरेपी और आर्ट थेरेपी से किया जाता है। इस थेरेपी में बच्चों को साइकोलॉजिकल गेम्स खेलने को दिए जाते हैं। जो ब्रेन के लिए काफी मददगार होते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें-

कोई भी व्यक्ति ये नहीं चाहता की उसे किसी भी तरह के रोगों का सामना करना पड़े। और (and) एंग्जाइटी एक ऐसी बीमारी है जो थोड़ी सी चिंता और टेंशन के कारण हो सकती है। ऐसे में इस रोग से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। जैसे (like)-

  • पौष्टिक आहार लें। और भोजन में फलों और हरी सब्जियों को शामिल करें।
  • कार्यो की प्राथमिकता तय करें। एक समय में एक ही काम करने पर जोर डालें।
  • कैफीन और एल्कोहॉल के सेवन से बचें।
  • लोगों के साथ दोस्ती बढाएं और सामाजिक गतिविधियों में खुलकर भाग लें।
  • व्यायाम करें। तनाव मुक्त रहें।

एंग्जाइटी एक ऐसी समस्या है जो ज्यादात्तर तनाव के कारण हो जाती है। लेकिन सभी व्यक्ति में इसके अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं। ऐसे में ऊपर बताई गई बातों का ध्यान ज़रूर रखें।

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