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डायबिटीज (शुगर) होने के कारण, लक्षण और आर्युवेदिक उपाय

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Written by Pooja Sharma

@ Health Expert

हमारी भागदौड़ भरी जिंदगी में जीवनशैली में बदलाव के कारण हम कम उम्र में ही कई जटिल बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं। उनमें से एक बीमारी है शुगर जिसे आम भाषा में डायबिटीज़ कहते हैं। यह इतनी खतरनाक बीमारी है जो अन्य बीमारीयों को भई दावत देती है। इसका नाकारात्मक प्रभाव ये भी है कि शुगर होने के बाद अगर कोई चोट लगती है तो उसका घाव आसानी से भरता नहीं है। विशेषज्ञों मानते हैं कि शुगर की बीमारी धीमी मौत का काम करती है। जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।

शुगर होने के लक्षण (Symptoms of diabetes)

किसी भी रोग के होने से पहले हमें उसके लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए। इससे हम हमारे शरीर के आधे से ज़्यादा रोगों को ठीक कर सकते हैं। नीचे हम आपको शुगर होने के कुछ लक्षण बताने जा रहे हैं।

पैरों में झनझनाहट होना (Shivering in legs)

पैरों में झनझनाहट होना (Shivering in legs)

अगर कोई भी काम करते समय अचानक से आपके पैरों में झनझनाहट होने लगे तो ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने की ओर संकेत करता है। इससे आपके नर्व सिस्टम के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। यह हाथों और पैरों की तंत्रिकाओं को बर्बाद कर देता हैं, जिसे डायबिटिक पेरिफ़ेरल न्यूरोपैथी के नाम से जाना जाता है। उँगलियों और टखनों में झनझनाहट होती है और ये बीमारी के शुरूआती लक्षणों की ओर संकेत देता है। अगर आपको शुगर है और आप झुनझुनी के बाद सुन्नपन और जलन महसूस करते हैं, तो फ़ौरन स्क्रीनिंग टेस्ट करवाएं, साथ ही न्यूरोलॉजिस्ट से इसकी वजह मालूम करें।

घाव और छालों का होना (Wounds)

घाव और छालों का होना (Wounds)

डायबिटिक लोगों को अक्सर छाले और चोट लगने पर घावों के ना भरने की समस्या होती है। डायबिटीज़ के चलते होने वाले छाले अक्सर उंगलियों, टखनों और पैरों में होते हैं। पैरों और हाथों में छाले होने का कोई ठोस तथ्य नहीं मिल पाया है। डायबिटिज़ के चलते एक समय के बाद रक्त का संचार (ब्लड सर्कुलेशन) भी प्रभावित होता है, जिसकी वजह से शरीर का घाव जल्दी नहीं भर पाता है। इसलिए अगर छोटी से छोटी चोट, घाव, छालों को भरने में समय लगता है, तो यह इस बात की चेतावनी है कि अब आपको अपने डायबिटीज़ को कंट्रोल करना चाहिए।

त्वचा से जुड़ी समस्याएं (Skin problems)

त्वचा से जुड़ी समस्याएं (Skin problems)

घाव भर पाने की कमज़ोर क्षमता के साथ ही, ख़राब ब्लड सर्कुलेशन की वजह से शरीर संक्रमण (इंफ़ेक्शन) से लड़ने में भी नाकामयाब होने लगता है। इसलिए अगर आपको शरीर के किसी भी हिस्से में लाल निशान, खुजली, सूजन महसूस हो, तो इसका अर्थ है कि यह डायबिटीज़ की वजह से होने वाला त्वचा संबंधित संक्रमण है।

पैरों में सूजन (Swelling in legs)

पैरों में सूजन (Swelling in legs)

डायबिटिक व्यक्ति के पैरों में होने वाली सूजन और क्रैम्प उसे एक तरह से डायबिटिक न्यूरोपैथी की ओर ले जाने का संकेत देते हैं। किडनी का काम होता है शरीर के अनचाहे पदार्थों को बाहर निकालना। अगर लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर की शिकायत हो, तो इससे किडनी ख़राब हो सकती है और किडनी के काम करने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। नतीजतन शरीर में अनचाहे पदार्थ इकट्ठा होने और पैरों में सूजन होने लगती है। इतना ही नहीं, गंभीर स्थिति में किडनी फ़ेल भी हो सकती है।

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    शुगर होने के कारण ( Causes of diabetes)

    हमारी कुछ खराब आदतों की वजह से हमारे शरीर को भुगतना पड़ता है। शुगर होने के कुछ कारण ऐसे हैं जो हमारी रोज़ाना की जीवनशैली से ही जुड़ी हैं। नीचे आपको शुगर होने के कुछ कारण बताए गए हैं।

    नींद पूरी ना होना (Insomnia)

    नींद पूरी ना होना (Insomnia)

    कामकाज और बदलते लाइफस्टाइल के कारण लोग रात को देर से सोते हैं और सुबह भी जल्दी उठ जाते हैं। पर्याप्त नींद न लेने की वजह से डायबिटीज की समस्या हो जाती है।

    कम पानी (Dehydration)

    कम पानी (Dehydration)

    दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना बहुत जरूरी होता है लेकिन पानी की कमी से शरीर हाइड्रेट नहीं हो पाता और ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है।

    मोटापा (Obesity)

    मोटापा (Obesity)

    जिन लोगों के शरीर का वजन ज्यादा होता है और वे इसके लिए कुछ नहीं करते तो भी यह समस्या हो जाती है। शुगल लेवल को नियंत्रित करने के लिए आपको अपना वज़न कम करना होगा।

    ये भी पढ़ें – वजन कम करने के लिए घरेलू उपाय

    आलस करना (Laziness)

    आलस करना (Laziness)

    अगर आप दिनभर आलस दिखाएंगें तो इससे आपके शरीर में इंंसुलिन लेवल बढ़ जाएगा। आलस को दूर करने के लिए आपको रोज़ाना कम से कम 20-25 मिनट तक कसरत करनी चाहिए। अगर आप रोज़ाना सुबह उठकर व्यायाम करने से शुगर बढ़ने का खतरा कम हो जाएगा।

    क्या आप जानते हैं मराठी में शुगर या डायबिटीज़ को मधुमेह कहते हैं

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      शुगर लेवल कितना होना चाहिए ( Sugar level range)

      हम आपको चार्ट के ज़रिए बताएंगें कि आपका शुगर कितना होना चाहिए और कब आपको इसके होने वाले लक्षणों की ओर ध्यान देना चाहिए। नीचे आपको नॉर्मल शुगर लेवल,फास्टिंग ब्लड शुगर बताने जा रहे हैं।

      नॉर्मल शुगर लेवल (Normal blood sugar level in Hindi)

      रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) की जाँच मधुमेह नियंत्रण पर निगरानी रखने का प्रमुख साधन है। यह जाँच किसी भी समय रक्त शर्करा के स्तर की जानकारी प्रदान कर सकती है। रक्त शर्करा के स्तर का अपनी सामान्य रेंज में बने रहना, किसी भी व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए महत्वपूर्ण है। यदि ग्लूकोज (ब्लड शुगर) का स्तर सामान्य से बहुत कम हो जाता है, तो सम्बंधित व्यक्ति सामान्य रूप से सोचने और कार्य करने की क्षमता को खो सकता है। यदि ब्लड शुगर सामान्य से बहुत अधिक हो जाता है, तो यह शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है या अनेक प्रकार की जटिलताओं का कारण बन सकता है। अतः खासकर मधुमेह से सम्बंधित व्यक्तियों को निरंतर शुगर लेवल जाँच करने की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति घर पर ब्लड शुगर की जाँच कर सकता है।

      ब्लड शुगर लेवल चार्ट (blood sugar level chart)

      फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल (Fasting normal blood sugar in Hindi)

      खाली पेट या सुबह उठने के दौरान नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल निम्न प्राप्त होता है।
      मधुमेह रोग से मुक्त व्यक्ति के लिए सामान्य रक्त शर्करा का स्तर 70 से 99 मिलीग्राम/डीएल (mg/dl) (9 से 5.5 मिलीमोल/लीटर) तक होता है
      मधुमेह वाले किसी व्यक्ति में सामान्य ब्लड शुगर लेवल 80 से 130 मिलीग्राम/डीएल (4.4 से 7.2 मिलीमोल/लीटर) होता है।

      रात में सोने से पहले नॉर्मल ब्लड शुगर ( Normal blood sugar Bedtime in Hindi)

      बिना मधुमेह वाले व्यक्ति के लिए नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल 120 मिलीग्राम/डीएल से कम होता है
      मधुमेह रोगियों में सोने से पहले नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल 90 से 150 मिलीग्राम/डीएल के बीच होता है।

      शुगर कम करने का आर्युवेदिक उपाय (Blood sugar treatment in ayurveda in hindi)

      हम अक्सर शुगर से बचने के लिए एलोपैथी दवाओं का प्रयोग करते हैं लेकिन उनसे हमारी समस्या केवल कुछ ही समय के लिए ठीक होती है। अगर हमें अपनी शुगर की बीमारी को जड़ से खत्म करना है तो हमें आर्युवेद की ओर बढ़ना चाहिए। आर्युवेदिक दवाइयां ना केवल रोग को मिटाती है बल्कि शरीर पर इसका कोई भी साइड इफैक्ट नहीं होता है।

      रोजाना व्यायाम (Excercise)

      रोजाना व्यायाम (Excercise)

      शरीर के लिए व्यायाम बहुत ज़रूरी है क्योंकि बिना कसरत के कोई भी दवा शुगर को कंट्रोल नहीं कर सकती है। व्यायाम करने से रोग धीरे-धीरे ठीक होने लगता है और इससे होने वाले खतरों कोे भी घटा देता है। व्यायाम उन लोगो को जरूर मदद करता है जो शुगर से इसलिए ग्रस्त है क्यूंकि उनका वजन ज्यादा है।

      मैडिटेशन/ध्यान लगाना (Meditation)

      मैडिटेशन/ध्यान लगाना (Meditation)

      ध्यान हमारे शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध को कम करता है। मैडिटेशन करने से कोर्टिसोल , एड्रेनालाईन और नार एड्रेनालाईन के रूप में तनाव हार्मोन इंसुलिन और ग्लूकोज के स्तर के उत्पादन को तेज करके शुगर लेवल को संतुलित करते हैं। ये पाचन सिंड्रोम और मधुमेह को सामान्य करने में मदद करता है।

      आपको इस लेख में शुगर लेवल को नियंत्रित करने को उपाय बताए गए हैं। साथ ही ये भी बताया गया है कि शुगल लेवल नॉर्मल कब रहता है। अगर आपको बताए गए उपायों से आराम ना मिले तो आप जल्द ही किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें।

      ये भी पढ़ें – डायबिटीज़ के घरेलू उपचार

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