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जानें क्या हैं थायराइड के लक्षण, कारण, प्रकार और घरेलू उपचार

Written by Sonali

@ Health Expert

आजकल लोगों में थायराइड की समस्या होना आम हो गई है। इसका इलाज होना संभव है, लेकिन कई लोग इस बीमारी की वजह से अपना पसंदीदा खान-पान त्याग देते हैं। थायराइड बढ़ना बीमारी को गंभीर बनाने का संकेत है। ऐसे में इसका इलाज पता लगते ही करवाना अच्छा रहता है। सबसे पहले जानते हैं कि, थायराइड कहां-कहां होता है और क्यों होता है गले में मौजूद (gland) नामक ग्रंथि यह ग्लैंड गले के आगे के हिस्से में होती है। यह तितली के आकार की होती है। इस ग्रंथि के जरिए हॉर्मोंन्स नियंत्रित होते है। थायराइड ग्रंथि में ज्यादा या कम मात्रा में हॉर्मोन बनाने पर थायराइड उत्पन्न होने की समस्या हो सकती है। थायराइड होने पर लोगों को अलग-अलग तरीके से परेशानियां होनी शुरु हो जाती है। जैसे थायराइड के दौरान कई लोगों का वजन बढ़ने लगता है। तो कई लोगों के वजन में कमी आती है। ऐसे में हॉर्मोंन्स असंतुलित हो जाते हैं। जिनका ट्रीटमेंट होना जरूरी होता है।

थाइराइड(Thyroid in hindi)

थाइराइड(Thyroid in hindi)

अधिकत्तर लोग थायराइड को बीमारी समझते हैं जबकि यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह एक प्रकार की ग्रंथि है। यह गले में तितली की आकार की होती है। इस ग्रंथि के द्वारा शरीर की कई गतिविधियां नियंत्रित होती है। साथ ही यह भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती है। थायराइड ग्रंथि टी3 यानि ट्राईआयोडोथायरोनिन और टी4 यानि थायरॉक्सिन ग्रंथि हॉर्मोंस बनने का काम करती है। इन हार्मोंस का असर हमारी सांस, ह्रदय गति, पाचन तंत्र और शरीर के तापमान पर पड़ता है। इसके अलावा यह शरीर की हड्डियों, मांसपेशियों और कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित करता हैं। यदि आपके शरीर में हॉर्मोंस असंतुलित होने लगते हैं तो वजन कम ज्यादा होने लगता है। इसी को थायराइड कहते है। वहीं, वैश्विक स्तर के मुताबिक, थायराइड की समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होती है। जहां पुरुष 0.5% इस बीमारी से ग्रस्त होती हैं तो वहीं, महिलाएं 5% महिलाएं इस समस्या से जूझझती हैं। शरीर में थायराइड हॉर्मोंस का कम ज्यादा होना, शरीर की कोशिकाओं को प्रभावित करता है।

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    थायराइड के लक्षण(Symptoms of thyroid in hindi)

    थायराइड के लक्षण को जानकर आप इस बीमारी से समय रहते बच सकते है, इसलिए नीचे बताएं गए सभी लक्षणों को जान लें। इस बीमारी के लक्षण काफी दर्दनाक होते है, इसलिए आप समय रहते डॉक्टर्स से संपर्क करें।

    • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द

    हाइपोथाइरॉडड यानि शरीर में टीएसएच अधिक और टी3,टी4 के कम होने से आपके मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द रहने लगता है।

    • गर्दन में सूजन

    थायराइड बढ़ने पर गले में सूजन होने लगती है और भारीपन का एहसास होता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

    हाइपोथाइरॉइड की समस्या होने पर त्वचा में रूखापन, बालों का झड़ना, भौंहों के बालों का झड़ना शुरु हो जाता है, जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का
    तेजी से गिरना और संवेदनशील त्वचा जैसी समस्या होनी शुरु हो जाती है।

    • पेट खराब होना

    हाइपोथाइरॉइड होने की वजह से आपको पेट की समस्या होने लगती है। इस दौरान आपको लंबे समय तक कब्ज की दिक्कत रहती है। जबकि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया होने का खतरा बार-बार रहता है।

    • हार्मोनल बदलाव

    महिलाओं में यह समस्या अधिकत्तर पीरियड्स के दौरान देखने को मिलती है। इस स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है वहीं हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स होने लगते है। थायराइड की समस्या रहने की वजह से गर्भ धारण करने में मुश्किल आती है।

    • मोटापा

    हाइपोथाइरॉइड की अवस्था में मरीज़ का वजन तेजी से बढ़ने लगता है। इसके अलावा शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है। वहीं हाइपरथाइरॉइड में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम हो जाता है।

    • थकान, अवसाद या घबराहट

    बिना मेहनत किए अगर आपको थकान रहती है। बात-बात पर घबराहट होना। यह लक्षण थाइरॉइड के होते हैं।

    ये सभी लक्षण थायराइड के होते हैं। समय पर ये लक्षण दिखने पर आप लापरवाही ना बरतें हुए डॉक्टर से ज़रूर मिले। यह लक्षण बहुत आम है तो आप आसानी से पहचान सकते हैं कि आप इस समस्या के शिकार है या नहीं…

    ये भी पढ़ें – थायराइड में परहेज, क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाएं

    थायराइड के प्रकार (Types of Thyroid)

    वैसे लोगों को यह नहीं पता होता कि, थायराइड कितने प्रकार के होते है। हम आपको बताते हैं कि, थायराइड दो प्रकार के होते है। इन दोनों के लक्षण और कारण भी बिल्कुल अलग होते है। नीचे दिए गए लक्षणों के जरिये जानने की कोशिश कर सकते हैं आप किस प्रकार के थायराइड से ग्रस्त हैं।

    हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)

    हाइपोथायरायडिज्म होने पर थायराइड ग्रंथि जरूरत से कम मात्रा में हार्मोंस को उत्पन्न करती है। जो इसका मुख्य लक्षण है।

    हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण

    हाइपोथायरायडिज्म के यह कई लक्षण है जिनसे जान सकते हैं कि, आप थायराइड के कौन से स्टेज से गुज़र रहे हैं। हालांकि, इसका इलाज मुमकिन है। साथ ही इसका इलाज दवाईयों से होना भी संभव है। इस दवाई के सेवन से आपके शरीर में हॉर्मोंस की कमी पूरी होती है। इसमें डॉक्टर सिंथेटिक थायराइड हार्मोन टी-4 लेने की सलाह देते हैं। जिससे हॉर्मोंस शरीर में बनने लगते हैं, लेकिन हाइपोथायरायडिज्म की कुछ अवस्था ऐसी होती है जिसमें यह दवा आपको ज़िंदगी भर के लिए खानी पड़ सकती है।

    • थकान रहना
    • अधिक ठंड का एहसास होना
    • स्किन का ड्राई रहना
    • बढ़ता वजन
    • चेहरे पर सूजन आना
    • आवाज में बदलाव
    • मसल्स कमज़ोर होना
    • ब्लड में कोलेस्ट्रॉल का लेवेल बढ़ना
    • मसल्स में दर्द, नाजुकता और जकड़न होना
    • जोड़ों में अकड़न और सूजन की वजह से दर्द होना
    • असामान्य और अनियमित रूप से पीरियड का आना
    • अधिक हेयरफॉल होना
    • हार्ट रेट धीमी होना
    • डिप्रेशन होना
    • याद्दाश्त कमज़ोर होना

    हाइपरथायराइडिज्म (Hyperthyroidism)

    इसमें थायराइड ग्रंथि सामान्य कम मात्रा में थायराइड हॉर्मोन का स्राव करती है। इसमें थाइराइड की समस्या अधिक बढ़ने की संभावना उत्पन्न होती है। इससे पीड़ित लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

    हाइपरथायराइडिज्म के लक्षण (Symptoms of Hyperthyroidism)

    • वजन कम होना
    • घबराहट होना, मूड बदलना और अधिक चिंता रहना
    • गलगंड यानि कि घेंघा रोग होना
    • थकान रहना
    • सांस का फूलना
    • दिल की धड़कन का तेज़ हो जाना
    • गर्मी अधिक लगना
    • नींद कम आना
    • ज्यादा प्यास लगना
    • आंखों में लालपन या सूखापन होना
    • बालों का झड़ना व पतला होना

    ये तमाम हाइपरथायराइडिज्म होने के लक्षण है जिससे पता चलता है कि आप हाइपरथायराइडिज्म नामक थायराइड से ग्रस्त हैं। इस दौरान टी 4, टी 3 या फिर दोनों हार्मोनों की मात्रा अत्यधिक हाई मेटाबॉलिक के कारण होती है।

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      थायराइड से बचने के लिए योग करना (Yoga for thyroid)

      थायराइड से बचने के लिए योग करना (Yoga for thyroid)
      आजकल थायराइड की समस्या से हर दूसरा व्यक्ति जूझझ रहा है। ऐसे में हर कोई दवाईयों के झंझट से भी बचना चाहता है। थायराइड अधिक बढ़ने पर आपको पूरी जिंदगी दवाईयों का सेवन करना पड़ सकता है। जिसकी वजह से आप परेशान हो सकते हैं। वहीं, अगर आप योगा का सहारा ले सकते हैं तो इस समस्या से निजात पा सकते हैं। वैसे सुबह उठकर रोज़ाना योगा करना हर किसी की सेहत के लिए लाभकारी साबित होता है। इससे आप तमाम बीमारियों से भी दूर रहेंगे और स्वस्थ बने रहेंगे। बदलते लाइफस्टाइल की वजह से लोग योग के लिए समय नहीं निकाल पाते। अगर आप योगा करेंगे तो आप थायराइड की समस्या को दूर कर पाएंगें। समय पर पता चलने पर आप रोज़ाना हमारे बताएं इन योगासन को करना शुरु कर देंगे तो आपको इस समस्या से राहत मिल सकती है।

      • नाड़ीशोधन प्राणायाम

      थायराइड होने पर यह योगासन आपको कई फायदे पहुंचेगें। सबसे पहले एक आरामदायक आसन ज़मीन पर बिछा लें। कमर-गर्दन को सीधा रखकर बैठें। फिर एक नाक से गहरी सांस लेकर मुंह से निकालें। फिर उसी स्वर से सांस लेकर दूसरी नाक को छोड़ें। इस प्रक्रिया को करीबन 10 बार करें।

      • ध्यान करना

      ध्यान करना योगा का अहम हिस्सा है। इससे आपके मन में शांति बनी रहती है और साथ ही आपकी यादद्शत भी मजबूत बनती है। इसको करने के लिए आँखें बंद करके सांस लेने और छोड़ने की क्रिया पर ध्यान लगाएं। सांस अंदर लेते समय ‘सो’ और सांस बाहर छोड़ते समय ‘हम’ का विचार 5 से 10 मिनट कीजिए।

      • ब्रह्ममुद्रा

      इस आसन को करने के लिए वज्रासन में या कमर को सीधा करके बैठें। गर्दन को 10 बार ऊपर-नीचे चलाएँ। दाएँ-बाएँ 10 बार चलाएँ और 10 बार सीधे-उल्टे घुमाएँ।

      • मांजरासन

      इस आसन को करने के लिए चौपाये की तरह होकर गर्दन, कमर ऊपर-नीचे 10 बार चलाएं।

      • उष्ट्रासन

      इस आसन के दौरान घुटनों पर खड़े होकर पीछे झुकते हुए एड़ियों को दोनों हाथों से पकड़कर गर्दन पीछे झुकाएं और पेट को आगे की तरफ उठाएं। इसमें 10-15 मिनट तक सांस अंदर बाहर करें।

      • शशकासन

      इस आसन के दौरान सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं। सामने की ओर झुककर 10-15 बार सांस ले और छोड़ें।

      • मत्स्यासन

      मत्स्यासन के लिए पहले वज्रासन या पद्मासन में बैठें। फिर कोहनियों की मदद से पीछे झुककर गर्दन लटकाते हुए सिर के ऊपरी हिस्से को जमीन से छूएं 10-15 बार सांस अंदर बाहर करें।

      • सर्वांगासन

      इस आसन में पीठ के बल लेटकर हाथों की मदद से पैर उठाते हुए शरीर को कंधों पर रोकें। 10-15 बार सांस को भीतर लें और बाहर छोड़ें।

      • धनुरासन

      इसमें पेट के बल लेटकर दोनों टखनों को पकड़कर गर्दन, सिर, छाती और घुटनों को ऊपर उठाकर 10-15 बार सांस को ले और बाहर की तरफ छोड़ें।

      • शवासन

      इस आसन को करने के लिए पीठ के सहारे लेटकर, शरीर ढीला छोड़कर 10-15 बार लंबी-गहरी सांस लीजिए और छोड़िए। साथ ही 30 बार सामान्य तरीके से सांस लें और आंखे बंद रखें।

      क्या है मेटाबॉलिज़्म?(Metabolism meaning in hindi)

      मेटाबॉलिज्म एक रसायन प्रक्रिया है जिसके द्वारा भोजन ऊर्जा में तब्दील होता है। इससे आपके शरीर को ताकत मिलती है और शरीर में काम करने की ऊर्जा मिलती है। जिसे कहते हैं मेटाबॉल्जिम कहते हैं। यदि आपके शरीर में मेटाबॉल्जिम अच्छे लेवल पर है तो आपका शरीर सही तरीके से काम करेगा। आसान शब्दों में कहे तो रासयनिक प्रतिक्रिया के प्रभाव को मेटाबॉल्जिम कहते हैं। इस रासयनिक प्रतिक्रियाओं से आपका शरीर जीवित व सक्रिय रहता है। यदि आपके शरीर में मेटाबॉल्जिम तेज है तो आप आसानी से ज्यादा कैलरी बर्न कर सकते हैं वहीं, अगर मेटाबॉल्जिम धीमा है तो ये वजन कम करने में मददगार होता है। इसके अलावा अगर आपके शरीर का मेटाबॉल्जिम बेहतर है तो आपका शरीर का स्वस्थ रहेगा और आपको ऊर्जा प्रचुर मात्रा मिलेगी जिससे आपको अच्छा महसूस होगा।

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