कान और आंखे बहुत ही संवेदनशील होती हैं। अक्सर कान में होने वाले रोगों पर हमारा ध्यान नहीं जाता है क्योंकि इन रोगों को हम देख नहीं पाते केवल महसूस करते हैं। जिसे हम ये सोचकर छोड़ देते हैं कि कुछ देर में ठीक हो जाएगा। लेकिन ये समय के साथ बढ़ता ही चला जाता है और बाद में ये बीमारी आपको बहरा भी बना सकती है। साथ ही समय रहते इनपर ध्यान ना दिया जाए तो कैंसर होने का भी खतरा बना रहता है।
कान के रोगों के प्रकार
कान में कई प्रकार के रोग होते हैं जैसे-
- कान बंद होना- जब हमारे कान में कुछ जमा होने लगता है तो कान की नली बंद हो जाती है। जिसके कारण कान बंद होने की शिकायत हो जाती है।
- कैंसर- कई बार कान में घाव या फोड़े आदि हो जाते हैं जिसपर ध्यान ना देने से ये कैंसर रोग में तब्दील हो सकते हैं।
- फोड़े- कान के कनाल में फोड़े और घाव आदि हो जाते हैं। अक्सर ये संक्रमण के कारण फैलता है।
- दाब- कान में दाब वातावरण में बदलाव के कारण होता है। जब हम कहीं ऊंची जगह पर जाते हैं या हवाई यात्रा करते हैं तो ऐसे में दाब होने का खतरा रहता है। इसके कारण कान बजने लगते हैं।
- स्वमर्स ईयर- ये रोग गर्मी और नमी के कारण होता है। इस स्थिति में कान की त्वचा में सूजन आ जाती है।
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कान के रोगों के कारण
कान में होने वाली समस्याएं कई कारणों से होती हैं। तो आइए जानते हैं कान में होने वाले रोगों के मुख्य कारण क्या हैं-
- जब कान के अंदर की कोशिकाओं को किसी कारण हानि पहुंचती है तो ये कान में दर्द और क्षति के कारण बनते हैं।
- अक्सर डीजे पार्टी, जागरण, शोर या कोई भी ऐसी जगह जहां तेज़ आवाज़ होती है इसके संपर्क में आने से कान में रोग हो सकता है।
- कान की समस्याएं अक्सर उम्रदराज़ लोगों को भी हो जाती हैं।
- कान के अंदर जीवाणुओं के प्रवेश होने के कारण कान में समस्या हो जाती हैं। ये वायरस के संपर्क में आने से भी हो सकता है।
- इसके अलावा चोट लगना, फ्लू होना, अनुवांशिकता और टॉन्सिल आदि होने से भी कान के रोग हो जाते हैं।
कान के रोगों का इलाज
जैसा की हमने ऊपर बताया कान के रोगों के कई कारण होते हैं। वैसे तो इस रोग के कई इलाज हैं। लेकिन आजकल लोग घरेलू ऊपचारों की सहायता से घर में ही छोटे-मोटो रोगों का इलाज करना बेहतर समझते हैं। तो आज हम आपको कान में होने वाले रोगों के कुछ आसान घरेलू इलाज बताने जा रहे हैं। जो इस प्रकार है-
- लहसुन- लहसुन हर प्रकार के रोगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वैसे ही ये कान बहने की समस्या को भी दूर करता है। इसके इस्तेमाल के लिए लहसुन की कली को नारियल तेल में डालकर गर्म कर लें। ठंडा होने के बाद डॉपर या कॉटन की सहायता से कान में डालें। ध्यान रहे ये प्रक्रिया लेट कर ही करें। जिससे ये तेल पूरी तरह आपके कान में जाए।
- नीम का तेल- नीम का तेल कान में होने वाले इंफेक्शन को दूर करता है। नीम के तेल के प्रयोग के लिए सबसे पहले इस तेल की कुछ बूंदे कान के अंदर डालें। और कुछ देर के लिए लेट जाएं।
- प्याज़- प्याज़ में एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल के गुण पाए जाते हैं। जो दर्द में राहत पहुंचाता है। इसके लिए प्याज़ के रस को हल्का गर्म करें और इसे कान में डालें।
- गर्म तेल- कान में सरसों का तेल गुनगुना करके डालें। इससे कान में जमा होने वाली गंदगी दूर होती है।
- सिरका- सेब के सिरके के इस्तेमाल से कान में संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणु मर जाते हैं। इसके लिए एक चम्मच सेब का सिरका लें और उसमें एक चम्मच गर्म पानी मिलाएं। अब रूई को इसमें डूबोकर कानों में डालें। और लेट जाएं। जब रूई का सारा मिश्रण कानों मे चला जाए तो इसे बाहर निकाल लें।
यदि आप भी कान में होने वाली समस्याओं से परेशान हैं तो इस स्थिति में ऊपर बताए गए नुस्खों का इस्तेमाल ज़रूर करें।