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अर्थराइटिस (गठिया) के लक्षण और समस्या से छुटकारा पाने के योगासन

Written by Juli Kumari

@ Health Expert

बढ़ती उम्र में गठिया होना आम है। क्योंकि इस उम्र में जोड़ों की हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं। जिससे उम्रदराज लोगों को उठने-बैठने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गठिया रोग एक खतरनाक बीमारी है। अगर इसे जानलेवा भी कहें तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। इस रोग के कारण शरीर के जोड़ों में असहनीय दर्द होता है। जिसके कारण दैनिक जीवन अस्थ-व्यस्थ हो जाता है।

अर्थराइटिस के लक्षण

अर्थराइटिस एक ऐसी समस्या है। जिसके कारण लोगों के दैनिक जीवन के कार्यों में बाधा उतपन्न होने लगती है। इसलिए जल्द से जल्द इसके लक्षणों को पहचानकर इसका इलाज करवाना ज़रूरी हो जाता है। ऐसे में अगर आपको अपने जोड़ों में लगातार दर्द और जकड़न महसूस हो तो। हो सकता है कि आप अर्थराइटिस से पीड़ित हो। इसके अलावा जोड़ों के आसपास लालिमा, थका हुआ महसूस होना, भूख ना लगना, जोड़ों में तेज़ दर्द आदि अर्थराइटिस के लक्षण हैं।

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अर्थराइटिस के लिए योगा

क्योंकि अर्थराइटिस का संबंध जोड़ों से होता है। इसलिए इस रोग में योगा बहुत फायदेमंद है। तो आज हम आपको अर्थराइटिस के लिए कुछ असरदार योगासन बताने जा रहे हैं। जिसे रोज़ाना करके आप अर्थराइटिस के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। तो आइए जानते हैं। गठिया के लिए कुछ असरदार योगासन

 

    • वज्रासन

 

यह एक सरल और बेहद ही आसान योगासन है। इसे करने के लिए घुटनों के बल बैठ जाएं। और अपने पैरों को घुटनों से मोड़ें। इस अवस्था में पैरों के अंगूठे एक-दूसरे के ऊपर रहेंगे। साथ ही एड़ियों को बाहर की ओर फैलाएं और बैठने के लिए जगह बना लें। अब अपने हाथों को घुटनों के ऊपर रखें। इस अवस्था में सांस लेते और छोड़ते रहें। ऐसा करने से घुटनों का दर्द कम होता है। ये एक ऐसा आसन है जिसे खाना खाने के बाद भी किया जा सकता है। इस आसन को रोज़ाना करने से घुटनों के दर्द में आराम मिलता है।

 

    • सेतुबंध आसन

 

सेतुबंध आसन से रीढ़ की हड्डी, घुटनों, और एड़ियों के दर्द में आराम मिलता है। इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं। अब घुटनों को इस तरह मोड़ें की रीढ़ की हड्डी से 90 डिग्री का कोण बने। इस स्थिति में सांस लेते हुए कमर को अपने हिसाब से ऊपर उठाएं। अब 20 से 30 सेकंड के लिए इसी अवस्था में बने रहे। ऐसा करने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है। साथ ही रोज़ाना इस योग को करने से जोड़ों मे आने वाली सूजन भी कम होती है।

 

    • बालासन

 

बालासन को करने के लिए सबसे पहले घुटने के बल ज़मीन पर बैठ जाएं। अब अपने शरीर का सारा भार एड़ियों पर डालें। इस स्थिति में गहरी सांस लें और आगे की ओर झुकें। ध्यान रहे आपका सीना जांघों से छूना चाहिए। और अपने माथे से फर्श को छुएं कुछ देर के लिए इसी अवस्था में बने रहें। फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं। ऐसा करने से गठिया के कारण जोड़ों में आने वाली सूजन कम होती है।

 

    • सर्पासन

 

गठिया के रोगी के लिए सर्पासन बहुत लाभदायक है। इस योग को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल सीधा लेट जाएं और दोनों हाथों को माथे के नीचे टिकाकर रखें। अब दोनों पैरों के पंजों को साथ में रखें। इसके बाद माथे को सामने की ओर उठाएं और दोनों बाजुओं को कंधों के समान ही रखें जिससे शरीर का पूरा भार बाजुओं पर पड़े। इससे हाथों में होने वाले दर्द और सूजन कम होते हैं।

 

    • पवन मुक्त आसन

 

ये आसन सूनने में जितना आसान है उतना ही इस योग को करना भी आसान है। इसे करने के लिए सबसे पहले खूली हवा में बैठ जाएं। और कमर के बल लेटें। इसके बाद आराम से दोनों पैरों को घुटनों से अंदर की तरफ मोड़ लें। इसके बाद पैरों को ऊपर उठाकर घुटनों को छाती की ओर ले आएं और अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ ले जाते हुए पैरों को कस कर पकड़ लें। अब सांस को बाहर की ओर छोड़ते हुए पेट को दबाएं। कुछ देर के लिए इसी मुद्रा में बने रहें। फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं। रोज़ाना ऐसा करने से किसी प्रकार के गठिया रोग में आराम मिलेगा।

योग ही एक ऐसा साधन है जिसके सहारे आप किसी भी तरह के रोगों से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। अर्थराइटिस में भी योग बहुत फायदेमंद है। इससे जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। यदि आप भी गठिया रोग से पीड़ित हैं तो ऊपर दिए गए योगासन को ज़रूर करें।

क्या आप जानते हैं?

मधुमक्‍खी और सांप के जहर से अर्थराइटिस में आराम मिलता है। 2010 ब्राज़ील में एक शोध किया गया था जिसमें इस बात को खुलासा हुआ था की मुधमक्‍खी के डंक से निकलने वाले जहर से रुमेटाइड आर्थराइटिस का लक्षण और दर्द कम होता है

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