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इन 6 जादुई जड़ी बूटियों में है पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस का सफल इलाज

Written by Dr. Fahad Ansari B.U.M.S

@ B.U.M.S

ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) दुनिया भर में गठिया (arthritis) का सबसे आम रूप है। यह शरीर के किसी भी जोड़ में हो सकता है लेकिन आमतौर पर यह हाथों और घुटने, कूल्हे और मेरूदंड (खासकर गर्दन और पीठ का निचला हिस्सा) जैसे शरीर का भार झेलने वाले जोड़ों में होता है। जोड़ों में दर्द (joint pain), अकड़न और ऐंठन महसूस होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

पर ज़्यादा गंभीर स्थिति में मरीज़ न केवल शारीरिक बल्कि भावनात्मक तौर पर भी प्रभावित हो सकता है। शरीर की गतिशीलता कम हो जाने के कारण वह परिवार और दोस्तों के साथ दैनिक गतिविधियों में भाग नहीं ले पाता। उसके लिए रोज़मर्रा के आम काम-काज करना भी दूभर हो जाता है।

लेकिन अच्छी बात यह है कि आपको इस दर्द के साथ जीवन जीने की ज़रूरत नहीं है। आयुर्वेद के हर्बल उपायों (Herbal Treatment) से ऑस्टियोआर्थराइटिस का इलाज (Osteoarthritis treatment) संभव है।

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यहां हम आपको उन आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की जानकारी दे रहे हैं जो ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों (Osteoarthritis symptoms) को कम करने में मदद कर सकती हैं।

इन 6 जादुई जड़ी बूटियों में है पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस का सफल इलाज

  1. बोसवेलिया (Boswellia)
  2. अश्वगंधा (Ashwagandha)
  3. हल्दी (Turmeric)
  4. त्रिफला (Triphala)
  5. गुग्गुल (Guggulu)
  6. अदरक (Ginger)

बोसवेलिया (Boswellia)

आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बोसवेलिया सेराटा (Boswelvecklia Serrata) जिसे भारतीय लोबान भी कहा जाता है, जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करती है। बोसवेलिया या शल्लकी, 5-लाइपोक्सिनेज (5-lipoxygenase) नामक एक एंजाइम को बनने से रोकता है जो ल्यूकोट्रिएन (leukotrienes) नामक रसायनों के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। ये कैमिकल शरीर में सूजन को बढ़ाते हैं।

बोसवेलिया जड़ी-बूटी

शोधकर्ताओं के मुताबिक ऑस्टियोआर्थराइटिस से लंबे अरसे से पीड़ित मरीज़ अगर अश्वगंधा, हल्दी और जिंक के साथ बोसवेलिया लेते हैं तो वे अपने जोड़ों के दर्द (joint pain) को कम कर सकते हैं। इसके साथ-साथ यह शरीर में ऊर्जा और गतिशीलता बढ़ाने में भी मदद करता है।

बोसवेलिया से निकलने वाली राल (पेड़ से निकलने वाला चिपचिपा पदार्थ) का इस्तेमाल दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है।

ऐसे करें प्रयोग: आप इनका गोलियों के रूप सेवन कर सकते हैं या इससे बनी क्रीम जोड़ों पर लगा सकते हैं।

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    अश्वगंधा (Ashwagandha)

    अश्वगंधा (Withania somnifera) सूजन और दर्द दूर करने में मददगार है। एक रिसर्च के मुताबिक इस जड़ी बूटी के अर्क सूजन बढ़ाने वाले अणुओं (टीएनएफ-अल्फा और दो इंटरल्यूकिन उपप्रकारों) के उत्पादन को बनने से रोकते हैं। एक अध्ययन में यह पाया गया कि अश्वगंधा का एंटी-इंफ्लामेट्री प्रभाव कुछ हद तक हाइड्रोकार्टिसोन (hydrocortisone) स्टेरॉयड की तरह ही होता है। लेकिन मुख्य तौर पर इसे दर्द से निजात पाने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा यह शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को भी मज़बूत करता है।

    अश्वगंधा जड़ी-बूटी

    ऐसे करें प्रयोग: आप अश्वगंधा का सेवन कई तरह से कर सकते हैं। आप अश्वगंधा की चाय बनाकर पी सकते हैं या फिर इसे किसी अन्य खाद्य पदार्थ, जैसे कि घी, खजूर से बनी चीनी के साथ मिलाकर खा सकते हैं। इसके अलावा बाज़ार में ये कैप्सूल के रूप में भी उपलब्ध होते हैं।

    हल्दी (Turmeric)

    हल्दी को आमतौर पर दक्षिण और पूर्व एशियाई खाने में एक मसाले की तरह इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसे सूजन संबंधी विभिन्न बीमारियों के उपचार में प्रयोग किया जाता है।

    हल्दी जड़ी-बूटी

    हल्दी में करक्यूमिन (curcumin) नामक तत्व सूजन पैदा करने वाले एंजाइम्स, जैसे कि लिपो-ऑक्सीजनेज़ (lipo-oxygenase), साइक्लो-ऑक्सीजनेज़ (cyclo-oxygenase) और फॉस्फोलिपेज़ ए2 (phospholipase A2) को बनने से रोकता है। इस तरह इससे सूजन दूर करने में मदद मिलती है।

    एक दिलचस्प बात यह भी है कि कुछ आंकड़ों से पता चलता है कि यह नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लामेट्री दवाइयों (NSAIDs) के साइडिफेक्ट्स से पेट की रक्षा भी करता है।

    ऐसे करें प्रयोग: आप हल्दी को स्नैक्स, सलाद या व्यंजनों में मसाले के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। चाहें तो हल्दी की चाय भी बनाकर पी सकते हैं लेकिन ध्यान रहे इसमें बाज़ार का दूध न मिलाएं। स्वाद के लिए आप इसमें शहद मिला सकते हैं।

    त्रिफला (Triphala)

    भारत में ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज (Osteoarthritis treatment) के लिए हजारों वर्षों से आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, त्रिफला का उपयोग किया जाता रहा है। त्रिफला आमलकी (आंवला), हरितकी (हरड़) और विभीतकी नामक तीन जड़ी बूटियों का मिश्रण है। आयुर्वेदिक ग्रंथो में कहा गया है कि त्रिफला में सूजन को दूर करने वाले गुण होते हैं।

    त्रिफला जड़ी-बूटी

    इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आपकी कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाते हैं। त्रिफला शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है जिससे बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है।

    ऐसे करें प्रयोग: बाज़ार में त्रिफला, चूर्ण के रूप में उपलब्ध होता है। आप इसका इसी रूप में सेवन कर सकते हैं। लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा बताई गई मात्रा के अनुसार ही इसका सेवन करें।

    गुग्गुल (Guggulu)

    गुग्गुल (Commiphora guggul) एक वृक्ष का नाम है। इसमें कई औषधीय गुण होते हैं। इससे मिलने वाला गोंद ही आयुर्वेदिक दवाइयों में इस्तेमाल किया जाता है। यह स्वाद में कड़वा और कसैला होता है।

    गुग्गुल जड़ी-बूटी

    गुग्गुल को गर्म प्रकृति का माना जाता है। इसे रोग के अनुसार कई चीज़ों में मिलाकर लिया जाता है।

    गुग्गुल वात, पित और कफ दोष को दूर करता है। इसके अलावा इसमें सूजन और जलन को कम करने के गुण भी होते हैं। यह शरीर में सूजन को बढ़ावा देने वाले NFKB नामक एंजाइम के अवरोधक के रूप में काम करता है।

    हड्डियों में सूजन, चोट के बाद होने वाले दर्द और टूटी हड्डियों को जोड़ने एवं रक्त के जमाव को दूर करने में भी यह बहुत लाभकारी है।

    ऐसे करें प्रयोग: यह बाज़ार में चूर्ण के रूप में उपलब्ध होता है। आप इसका इसी रूप में सेवन कर सकते हैं। लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा बताई गई मात्रा के अनुसार ही इसका सेवन करें।

    अदरक (Ginger)

    अदरक (Zinziber officinale) में एंटी-इंफ्लामेट्री और एनाल्जेसिक गुण होते हैं जो दर्द निवारक का काम करते हैं। जिन्हें अर्थराइटिस व घुटनों में दर्द जैसी समस्या होती है, उनके लिए अदरक फायदेमंद हो सकता है। इसका एंटी-इंफ्लामेट्री गुण शरीर में सूजन के लिए जिम्मेदार साइक्लो-ऑक्सीजनेज़ (cyclo-oxygenase) नामक एंजाइम को बनने से रोकता है। घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार में यह बेहद फायदेमंद है।

    ऐसे करें प्रयोग: आप अदरक की चाय बनाकर पी सकते हैं। इसके अलावा आप इसे सलाद के रूप में भी खा सकते हैं।

    अदरक जड़ी-बूटी

    ये आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार (Osteoarthritis treatment) में बेहद कारगर हैं। ऊपर बताए गए उपायों के आधार पर आप इसके लक्षणों (Osteoarthritis symptoms) को कम कर सकते हैं। लेकिन अगर इन हर्बल उपायों से लाभ न हो तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह ज़रूर लें। इनसे बनी दवाइयों का सेवन कभी भी स्वयं न करें।

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