कैसे घरेलू नुस्खों से निराला इलेक्ट्रोनिक्स के मालिक ने अपने असहनीय कमर दर्द को किया ठीक
प्रचानी काल में लोग अपनी किसी भी समस्या को ठीक करने के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग किया करते थे। जैसे-जैसे समय बढ़ता गया, तरह-तरह के मेडिकल ऑप्शन आते गए। लेकिन यकीन मानिए आज भी कई रोग को घरेलू नुस्खों से ठीक किया जा सकता है। इसका जीता जागता उदाहरण हैं मोहम्मद राशिद उर्फ निराला। आइए जानते हैं आखिर क्यूं निराला जी का विश्वास इस कदर घरेलू नुस्खों पर कायम है?
यूपी के उन्नाव से 321 किमी दूर बसा हरदासपुर जिले में निराला जी का संसार बसा हुआ है। सज्जन स्वभाव के निराला जी बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। निराला जी घर में पत्नी, दो बेटियाँ औऱ एक बेटे के साथ खुशी-खुशी जीवन बिता रहे हैं। दोनों बेटियाँ भी खूब हुनरमंद हैं। पढ़ाई के साथ-साथ घर में सिलाई-कढ़ाई का काम भी करती हैं। बेटा इलेक्ट्रॉनिक्स का काम करता है। उनकी दुकान का नाम निराला इलेक्ट्रॉनिक्स है, जहाँ निराला जी भी अपना सहयोग देते हैं। जितनी सिंपल इनकी लाइफस्टाइल है, उतनी ही प्रेरणादायक इनकी कहानी भी है कि कैसे इन्होंने अपने परिवार के साथ मिलकर लंबी बीमारी से जंग जीत ली। निराला जी इसका सारा का सारा क्रेडिट हकीम सुलेमान खान साहब के घरेलू नुस्खों को देते हैं। वह बताते हैं कि हकीम सुलेमान खान साहब के तजुर्बे और घरेलू नुस्खों ने उन्हें दोबारा जीवनदान दिया
दरअसल ये बात कुछ साल पहले की है, जब निराला जी अपने ही दुकान में टीवी रिपेयर कर रहे थे। अचानक उन्हें अपनी कमर के निचले हिस्से में तेज़ दर्द महसूस हुआ, उन्होंने इस दर्द को मामूली दर्द समझकर नजरअंदाज कर दिया। लेकिन इसी दर्द ने उन्हें जीवन में सबसे गहरी चोट दी। लाचारी किसे कहते हैं ये निराला जी को पहली बार महसुस हो रहा था, पहले जैसा कुछ भी नहीं रहा। निराला जी बिस्तर पर पड़ चुके थे। जरा सोचिए एक चलता फिरता, काम करता इंसान मजबूर हो जाए तो क्या स्थिति होगी? उन्हें किसी भी काम के लिए परिवार वालों का सहारा लेना पड़ता था। दर्द ऐसा की उठना बैठना भी मुश्किल हो चुका था।
निराला जी अवसाद (depression) के शिकार होने लगे थे। रात को न नींद आती थी ना ठीक से खाना खाया जाता था। रोज अंग्रेजी दवाई ख-खा कर वह थक चुके थे। घर में बंद-बंद घुटन-सी महसूस होने लगी थी। वह मुस्कुराते थे, लेकिन उनकी मुस्कान के पीछे क्या छुपा है, वे कोई देख नहीं पाता था।
जब दुआएं ऊपर जाती है तो रब की रहमतें बरसती हैं।
मामूली-सी जड़ी बूटी ने कैसे बदल दी जंदगी?
अब इसे निराला जी अच्छी क़िस्मत या उनके दोस्तों और परिवार वालों की दुआएँ समझे की उन्होंने हकीम सुलेमान खान साहब जी का शो, ”सेहत और ज़िंदगी” देखा। निराला जी हाकिम साहब के नुस्खों से प्रभावित हुए और उन्होंने हकीम साहब की राय पर फौरन अमल किया, उन्होंने गोंद सियाह मंगवा लिया। निराला जी ने लंबे समय तक जड़ी बूटी का सेवन किया फिर एक वक़्त ऐसा आया कि उनका दर्द पूरी तरह ठीक हो गया। निराला जी अब पहले से भी ज़्यादा एक्टिव होकर अब दूसरे ज़रूरतमंद लोगों की सेवा कर रहे हैं। इनका विश्वास है कि प्रकृति द्वारा दिए गए रोग का इलाज़ भी प्रकृति के पास ही है।
खुद पर भरोसा रखें, आप अपने आप के लिए सबसे बड़ी ताकत है
गोंद सियाह क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है । यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है । इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू (हिंदी) । यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता हैं । यह एक मध्यप्रमाण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है । गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है । वह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण पाए जाते हैं गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द, शरीर की कई बीमारियों को हम से दूर रखता है ।
आइए सुनाते हैं जिंदगी की जंग जीतने वाले निराला जी ने हकीम सुलेमान साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा