[gtranslate]

पिज्हिचिल (Pizhichil Treatment) प्रक्रिया, फायदे, नुकसान व सावधानियां

Avatar for Ritika
Written by Ritika

@

आयुर्वेद में हर बीमारी का सटीक इलाज मौजूद है। आयुर्वेदिक इलाज के जरिए ना सिर्फ बीमारी ठीक होती है बल्कि ये बीमारी को जड़ से खत्म करने में सहायक होता है। आयुर्वेद के जरिए तनाव, चिंता समेत बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज हो सकता है। आयुर्वेद में ऐसी थेरेपी है जिसे पिज्हिचिल (Pizhichil) कहा जाता है जो तनाव और चिंता को दूर करने में काफी अहम होती है।

इस थेरेपी को सर्वांगधारा, काया सेका या थिलाधारा कहा जाता है। बता दें कि पिज्हिचिल (Pizhichil) मलयालम शब्द है जिसका मतलब निचोड़ना होता है। इस चिकित्सा पद्धति में मरीज के शरीर पर औषधीय तेल को कपड़े से निचोड़कर डाला जाता है। इसके बाद हल्की मालिश की जाती है। इस प्रक्रिया से मरीज की चिंता, दर्द और तनाव दूर होता है। ये मस्तिष्क को आराम देने में कारगर पद्धति है।

पिज्हिचिल (Pizhichil) आयुर्वेदिक प्रक्रिया में कुछ औषधीय तेलों का मिश्रण लेकर उसे गुनगुना कर उपयोग किया जाता है। इस तेल को धाराओं के रुप में प्रवाहित कर शरीर पर डाला जाता है और मालिश की जाती है। पहले के समय में इसी प्रक्रिया से राजा-महाराजाओं को मालिश की जाती थी। इस प्रक्रिया को अभिजात वर्ग के लिए उपचार या आयुर्वेदिक चिकित्सा का राजा कहा जाता है।

पिज्हिचिल (Pizhichil) पंचकर्म आयुर्वेदिक उपचार का हिस्सा है, जिसके जरिए शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है। इसकी मदद से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल सकते है।

इसे भी पढ़े – पंचकर्म के नुकसान

पिज्हिचिल (Pizhichil) की प्रक्रिया के बारे में जानें यहां

  1. जानें क्या है सर्वांगधारा या पिज्हिचिल (Pizhichil) की प्रक्रिया
  2. जानें इस पिज्हिचिल (Pizhichil) के फायदे
  3. जानें पिज्हिचल (Pizhichil) थेरेपी के नुकसान
  4. ये सावधानियां बरतना है जरुरी

डॉक्टर से लें मुफ्त सलाह

    जानें क्या है सर्वांगधारा या पिज्हिचिल (Pizhichil) की प्रक्रिया

    जानें क्या है सर्वांगधारा या पिज्हिचिल (Pizhichil) की प्रक्रिया

    पिज्हिचिल (Pizhichil) थेरेपी कराने के लिए हर व्यक्ति के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। दरअसल ये जांच करना महत्वपूर्ण है क्योंकि जांच से पता चलता है कि इस प्रक्रिया के नुकसान तो मरीज को नहीं उठाने पड़ेंगे। आमतौर पर पिज्हिचिल (Pizhichil) थेरेपी की प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग 60 से 90 मिनट का समय लगता है।

    • सर्वांगधारा प्रक्रिया की शुरुआत रोगी के सिर और शरीर पर स्थिर धारा डालने से होती है। ये धारा रोगी पर निरंतर डाली जाती है।
    • इस पद्धति में कई खास औषधीय तेलों का उपयोग किया जाता है। इस पद्धति में उपयोग होने वाले तेल को मरीज की जरुरतों के आधार पर इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में मुख्य रुप से चंदनबाला लक्ष्मी तेल, क्षीरबाला तेल, धनवंतरम तेल, शतावरी तेल और यष्टिमधु तेल का उपयोग होता है। ये तेल मरीज की जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किए जाते है।
    • इस पद्धति के दौरान मरीज को बैठाकर, पेट के बल लेटकर, पीठ के बल लेटकर, दाहिनी ओर और बाईं ओर लेटकर मालिश की जाती है। इस पद्धति की खासियत है कि इस पद्धति में कुल चार से पांच लोग मिलकर मरीज की मालिश करते है।
    • माना जाता है कि इस पिज्हिचिल (Pizhichil) थेरेपी का एक सेशन भी मरीज को काफी राहत के साथ अच्छे परिणाम देता है। जिन लोगों को काफी लंबे समय से चिंता या अन्य परेशानियों से गुजरना पड़ा हो उन्हें इस थेरेपी की आवश्यकता होती है। शारीरिक और मानसिक समस्याएं झेलने वाले लोगों को आराम ना मिलने पर इस थेरेपी के सात सेशन कम से कम लेने होते है, जब इसका लाभ होता है।

    इसे भी पढ़े – जानू बस्ती थेरेपी

    जानें इस पिज्हिचिल (Pizhichil) के फायदे

    जानें इस पिज्हिचिल (Pizhichil) के फायदे

    ये थेरेपी उन लोगों के लिए बहुत लाभदायक होती है जो तनाव, चिंता, अनिद्रा जैसी परेशानियों से जूझते है। इसके जरिए गठिया, जोड़ो में दर्द, मांसपेशियों की विकृति को दूर किया जा सकता है।

    • गठिया के मरीजों को ये थेरेपी करवाने से काफी लाभ होता है
    • जोड़ों और मांसपेशियों के विकारों को दूर करने में है लाभकारी
    • न्यूरोलॉजिकल समस्याएं दूर करने में ये थेरेपी फायदेमंद होती है
    • इस थेरेपी के जरिए उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या दूर होती है
    • मस्तिष्क को शांति और आराम दिलाने में ये थेरेपी कारगर है
    • इस थेरेपी के जरिए त्वचा मुलायम और स्वस्थ होती है

    जानें पिज्हिचल थेरेपी के नुकसान

    जानें पिज्हिचल थेरेपी के नुकसान

    इस थेरेपी से मिलने वाले कई फायदे हैं। मगर जरा सी कोताही बरतने पर इस थेरेपी को करवाने वालों को कई तरह के नुकसान झेलने पड़ सकते हैं। इस थेरेपी को हमेशा सिर्फ ट्रेन्ड आयुर्वेदिक चिकित्सकों से करवाना बेहतर विकल्प है। ऐसा नहीं करने की स्थिति में मरीज को कई परेशानियां हो सकती हैं जो निम्न है।

    • इस थेरेपी को करवाने के बाद त्वचा पर जलन और दाद की समस्या हो सकती है।
    • कई लोगों को थेरेपी लेने के बाद अत्यधिक थकान का अनुभव होता है।
    • कुछ मामलों में थेरेपी लेने के बाद आवाज में बदलाव आता है। मरीज की आवाज कर्कश हो सकती है।
    • थेरेपी लेने के बाद काफी कम मामलों में मरीज को जोड़ो का दर्द व सूजन की समस्या होने लगती है।
    • इस थेरेपी को लेने के बाद उल्टी, रक्तस्राव और बुखार की शिकायत हो सकती है।
    • कुछ मामलों में मरीज को उल्टी, रक्तस्राव और बुखार से पीड़ित होना पड़ सकता है।

    इसे भी पढ़े – कटी बस्ती थेरेपी

    ये सावधानियां बरतना है जरुरी

    ये सावधानियां बरतना है जरुरी

    • पिज्हिचिल (Pizhichil) थेरेपी करवाने में हर मरीज पर कम से कम तीन से चार लीटर तेल का उपयोग होता है। इस थेरेपी के दौरान गुनगुने तेल का उपयोग किया जाता है।
    • थेरेपी पूरी होने के बाद जरुरी है कि मरीज हर हाल में ठंड से संपर्क करने से बचे।
    • ये ऐसी थेरेपी है जिसमें मालिश सुबह और शाम दोनों समय की जाती है। थेरेपी करने के बाद गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए। ठंडे पानी से बिलकुल स्नान न करें।
    • थेरेपी के जरिए दिमाग और शरीर को रिलैक्स किया जाता है। इस थेरेपी के बाद मरीज को रात में अच्छी नींद आती है।
    • थेरेपी के दौरान जरुरी है कि मांसपेशियों को अकड़ कर ना रखा जाए बल्कि उन्हें ढीला रखा जाए।
    • थेरेपी के दौरान हल्का भोजन ग्रहण करना चाहिए।
    • इस थेरेपी को लेने के दौरान भारी शारीरिक और मानसिक काम न करें।
    • थेरेपी के बाद स्नान लें और एक घंटे का आराम लें, ताकि शरीर अच्छे से रिलैक्स हो सके।
    • इस थेरेपी को लेने के साथ ही योग, वॉकिंग और मेडिटेशन जरुर करें।

    इसे भी पढ़े – Nasya Treatment

    हमारे डॉक्टर से सलाह लें

      रिलेटेड आर्टिकल्स