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जानू बस्ती (Janu Basti) क्या है, प्रक्रिया, लाभ, नुकसान व सावधानियां

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Written by Ritika

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जब घुटनों में दर्द होता है तो सीढ़ी चढ़ने में परेशानी या बैठकर उठने में काफी समय लग जाता है। आमतौर पर बढ़ती उम्र में हड्डियां घिसने से घुटने कमजोर होने लगते हैं। खराब लाइफस्टाइल और व्यायाम की कमी के कारण 50 की उम्र के बाद जोड़ों का दर्द, गठिया, गाउट, घुटने की गुम चोट जैसे कई कारणों से समय के साथ घुटनों में दर्द होने लगता है। घुटने दर्द होने का मुख्य कारण अनियमित जीवनशैली को माना जाता है। आजकल के व्यस्त जीवन में नियमित रूप से घंटों ऑफिस में बैठना, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, अत्यधिक वजन उठाना या बिलकुल काम ना करना अधिकतर लोगों का रोजमर्रा का रूटिन बन चुका है। अत्यधिक काम करना या बिलकुल फिजिकल एक्टिविटी ना करने की स्थिति में लोगों को घुटनों के दर्द का शिकार होना पड़ सकता है।
घुटनों के दर्द के कारण उठना, बैठना, चलना फिर सब दूभर हो जाता है। घुटनों में होने वाले दर्द से निपटने के लिए आयुर्वेद में जानू बस्ती (Janu Basti) नाम की थेरेपी का उपयोग किया जाता है। ये थेरेपी जोड़ों के दर्द से राहत देने में काफी कारगर मानी जाती है। वैसे तो घुटनों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए ढ़ेरों उपाय उपलब्ध हैं मगर महा नारायण, विषगर्भ, बला जैसे औषधियुक्त तेलों के मिश्रण से की जाने वाली जानू बस्ती (Janu Basti) बहुत असरदार मानी जाती है।

जानू बस्ती (Janu Basti) के बारे में सारी जानकारी

  1. जानू बस्ती (Janu Basti) क्या है
  2. जानू बस्ती (Janu Basti) की प्रक्रिया
  3. जानू बस्ती (Janu Basti) थेरेपी के ये हैं लाभ
  4. जानू बस्ती (Janu Basti) प्रक्रिया के हैं ये नुकसान
  5. जानू बस्ती (Janu Basti) के दौरान बरतें ये सावधानियां

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    जानू बस्ती (Janu Basti) क्या है

    जानू बस्ती (Janu Basti) क्या है

    जानू बस्ती (Janu Basti) एक ऐसी थेरेपी है जिसमें आयुर्वेद की मदद से घुटनों के जोड़ों में होने वाले दर्द से छुटकारा दिलाया जाता है। बता दें कि जानू का अर्थ घुटनों का जोड़ होता है वहीं बस्ती का अर्थ पकड़ना होता है। ऐसे में जानू बस्ती (Janu Basti) को घुटनों के जोड़ों में दर्द को पकड़े रहना कहा जाता है।

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    जानू बस्ती (Janu Basti) की प्रक्रिया

    जानू बस्ती (Janu Basti) की प्रक्रिया

    • इस प्रक्रिया की शुरूआत में पीड़ित को थेरेपी टेबल पर पेट के बल लेटने को कहा जाता है।
    • इस थेरेपी में बेसन को पानी के साथ गूंथ कर आटा तैयार होता है जिससे तेल लगाने के लिए रिंग का निर्माण किया जाता है
    • इस कटोरीनुमा रिंग को प्रभावित हिस्से में लगाकर रिंग में कई औषधीय गुणों वाले तेल मसलन नारायण, विषगर्भ, बला जैसे तेलों को गर्म कर डाला जाता है।
    • इस रिंग में तेल उस समय तक रखा जाता है जबतक तेल ठंडा ना हो जाए। ठंडा होने के बाद इसे गर्म तेल से बदला जाता है।
    • पीड़ित की परेशानी के आधार पर जानू बस्ती (Janu Basti) थेरेपी 20-45 मिनट के बीच की जाती है। आमतौर पर 1 से 3 सेशन में मरीज को थेरेपी दी जाती है। कुछ मामलों में यानी मरीज को अधिक परेशानी होने पर ये सेशन चिकित्सक की निगरानी में अधिक हो सकते है।
    • जानू बस्ती (Janu Basti) प्रक्रिया में जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए गर्म औषधीय तेल का इस्तेमाल होता है। ये तेल उत्तकों की गहराई में पहुंचकर वात दोष को शांत करने में कारगर सिद्ध होता है। ये घुटनों की चिकनाहट को वापस लाता है, जिससे घुटनों में दर्द से राहत मिलती है। ये तेल ऊतकों को हुए नुकसान को भी ठीक करता है।

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    जानू बस्ती (Janu Basti) थेरेपी के ये हैं लाभ

    जानू बस्ती (Janu Basti) थेरेपी के ये हैं लाभ

    • पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक जानू बस्ती (Janu Basti) थेरेपी जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में बहुत कारगर होती है।
    • ये प्रक्रिया जोड़ों के दर्द, जोड़ों की अकड़न, सूजन जैसी परेशानियों से राहत दिलाती है।
    • ऑस्टियोअर्थराइटिस (जिसे गठिया का सबसे आम रूप माना जाता है) की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए ये थेरेपी लाभकारी है।
    • इस थेरेपी से आयु संबंधित विकारों से छुटकारा मिलता है।
    • इस थेरेपी के जरिए घुटने चुस्त और फुर्तिले होते है।

    जानू बस्ती (Janu Basti) प्रक्रिया के हैं ये नुकसान

    जानू बस्ती (Janu Basti) प्रक्रिया के हैं ये नुकसान

    जानू बस्ती (Janu Basti) प्रक्रिया के कई नुकसान भी उठाने पड़ते हैं, हालांकि ऐसा काफी कम मामलों में देखने को मिलता है। कुछ चुनिंदा मामलों में स्किन में जलन और घाव होने की शिकायत होती है।
    इस थेरेपी को लेने से कुछ लोगों के घुटनों की त्वचा में जलन होती है। कुछ मामलों में ये अपवाद होता है। आमतौर पर सेंसेटिव स्किन यानी संवेदनशील स्किन वालों को जलन से जूझना पड़ सकता है।
    घुटने की चोट पर अधिक गर्म तेल का उपयोग करने से घाव होने की संभावना रहती है।
    अगर जानू बस्ती की प्रक्रिया को ठीक से नहीं किया जाए तो ये घूटनों में सूजन पैदा कर सकती है।
    जानू बस्ती प्रक्रिया का अधिक इस्तेमाल करना घातक हो सकता है। इसका घुटनों की फुर्ती पर नकारात्मक असर हो सकता है।

    जानू बस्ती (Janu Basti) के दौरान बरतें ये सावधानियां

    जानू बस्ती (Janu Basti) के दौरान बरतें ये सावधानियां

    • जानू बस्ती (Janu Basti) ऐसी थेरेपी है जिसके उपयोग के दौरान मरीज को कई सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि किसी तरह के शारीरिक नुकसान से बचा जा सके।
    • थेरेपी के तत्काल बाद स्नान न करें।
    • थेरेपी के बाद एसी में सोने या बैठने से परहेज करें।
    • थेरेपी कराने के बाद शराब और धूम्रपान का सेवन ना करें। ऐसा करने से थेरेपी का असर कम होता है।
    • थेरेपी लेने के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव करें। रोज वॉकिंग, योग और हल्की एक्सरसाइज करने से थेरेपी अधिक कारगर सिद्ध होती है।

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